जीवन संविधान से मिला मूल अधिकार है। पर जब हमारे होने, न होने से किसी को कोई फर्क न पड़े तो हम जीते हुए भी मर जाते हैं। अगर आज करोड़ों लोग अप्रासंगिक हैं तो यह तंत्र ही संविधान-विरोधी है।
2011-12-13
जीवन संविधान से मिला मूल अधिकार है। पर जब हमारे होने, न होने से किसी को कोई फर्क न पड़े तो हम जीते हुए भी मर जाते हैं। अगर आज करोड़ों लोग अप्रासंगिक हैं तो यह तंत्र ही संविधान-विरोधी है।
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Anil ji,
aapne ye baat sat pratishat satya hai aur aaj ke samay main poori tarah prasangik hai.Hum sarkaar baar baar badal rahen hain lekin sudhar ki koi gunjaaish nazar nahi aati.jab Gaddi ki khatara hai to chaahe jo Driver baitha do thik nahi chalegi.Yahi baat mere guru Rajiv dixit ji bhi kaha karte the. samay mile to jaroor dekhiyega. http://www.rajivdixit.com