जब विश्व अर्थव्यवस्था की विकास दर 2.5% से 2.6% पर अटकी पड़ी हो, सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के इस साल 2025 में बहुत हुआ तौ 1.6% बढ़ने का अनुमान वहां का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व जता रहा हो, दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की विकास दर घटकर 4.5% पर आ गई हो, तब भारत की अर्थव्यवस्था का इस साल जून तिमाही में 7.8% और सितंबर तिमाही में 8.2% बढ़ जाना किसी को भी हतप्रभ कर सकता है। लेकिन अचम्भे की बात यह है कि जीडीपी का आईना भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र एकदम पस्त है। सितबर 2025 की तिमाही में निफ्टी-50 में शामिल देश की सबसे बड़ी 50 कंपनियों की बिक्री महज 7% बढ़ी है, जबकि इनका परिचालन लाभ 13% और शुद्ध लाभ 9% ही बढ़ा है। दशकों से अमूमन पश्चिमी देशों की तरह ही भारत का जीडीपी जितना बढ़ता था, कंपनियों की बिक्री उससे 3-4% ज्यादा बढ़ती रही है। इस नियम से इस बार हमारी कंपनियों की बिक्री कम से कम 11-12% बढ़नी चाहिए। लेकिन हकीकत में निफ्टी-500 में शामिल 500 कंपनियों तक की बिक्री 7% ही बढ़ी है। केवल निफ्टी माइक्रोकैप-250 में शामिल बहुत छोटी कंपनियों की ही बिक्री 12% बढ़ी है। ऐसा क्यों? अब बुधवार की बुद्धि…
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