हमारे देश भारतवर्ष की स्थिति पिछले दस सालों में मोदीराज के दौरान बड़ी विचित्र होती गई है। अनंत अंबानी के शादी-पूर्व जश्न में विदेशी हस्तियों व सितारे थिरकने पहुंच जाते हैं। जामनगर हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दे दिया जाता है और खुद भारतीय वायुसेना इस निजी समारोह के लिए पांच दिन में 600 से ज्यादा उड़ानों का इंतज़ाम देखती है। ठेले-खोमचे वाले तो छोड़िए, भिखारी तक भीख के लिए क्यूआर कोड दिखा देते हैं। मार्क ज़ुकेरबर्ग की कंपनी मेटा रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेन्नई परिसर में भारत में अपना पहला डेटा सेंटर बना रही है जिसमें 30 नई नौकरियां पैदा होंगी। एलन मस्क अगले हफ्ते भारत में टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों की फैक्टरी लगाने का ऐलान करने जा रहे हैं, जिसमें 1100 लोगों को रोज़गार मिल सकता है। यह है कि मोदी सरकार के बहु-प्रचारित ‘मेक-इन इंडिया’ कार्यक्रम की उपलब्धि की एक झलक। यह उस भारत में हो रहा है जहां 140 करोड़ की आबादी में से 95 करोड़ कामकाज़ी उम्र हैं। इनमें से करीब 50 करोड़ निठल्ले हैं क्योंकि केवल 46.6% लोग ही काम-धंधा या नौकरी करते हैं। इनमें से भी आधे से ज्यादा स्वरोज़गार करते हैं और घर के कामकाज़ में मुफ्त हाथ बंटानेवालों को भी सरकार रोज़गार पानेवालों में गिन लेती है। असल रोज़गार गायब है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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