कोई शेयर अगर महज 4 के पी/अनुपात पर ट्रेड हो रहा हो, उसकी बुक वैल्यू ही बाजार में भाव से ज्यादा हो और अचानक उसमें वोल्यूम बढ़ जाए, वो भी बिना किसी बल्क या ब्लॉक डील के तो समझ लीजिए कि 24 कैरेट का सोना ऑपरेटरों के खोट के साथ मिलकर जेवर बनाकर पहनने लायक हो गया है। जी हां, वर्धमान टेक्सटाइल्स (बीएसई – 502986, एनएसई – VTL) का हाल इस समय ऐसा ही है। कंपनी का शेयर मंगलवार को 257.70 रुपए पर बंद हुआ है, जबकि उसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर शुद्ध लाभ) 63.77 रुपए है। इस तरह शेयर का मौजूदा पी/ई अनुपात 4.04 निकलता है। शेयर की बुक वैल्यू ही उसके बाजार भाव से 54.32 रुपए ज्यादा 312.02 रुपए है।
मंगलवार को अचानक बीएसई में इसमें औसत के करीब छह गुना ज्यादा 1.29 लाख शेयरों का वोल्यूम हुआ जिसमें से 98.67 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। हालांकि एनएसई में मात्र 5671 शेयरों में ही कारोबार हुआ जिसमें से 54.84 डिलीवरी के लिए थे। बहुत संभव है कि बीएसई में हुआ डिलीवरी आधारित भारी वोल्यूम किसी बड़े सौदे की वजह से हुआ हो और शेयर अपनी बढ़त अब उसी अंदाज में बरकरार न रख सके। लेकिन जिस कंपनी के फंडामेंटल इतने मजबूत हों, उसमें अगर इतने सस्ते में निवेश का मौका मिल रहा है तो इसे एक सुखद संयोग ही कहा जाना चाहिए।
वर्धमान समूह पंजाब के शहर लुधियाना से शुरू हुआ काफी नामी, पुश्तैनी और पुराना उद्योग समूह है। कंपनी टेक्सटाइल बिजनेस में जमकर जमी-जमाई है। निर्यात में बड़ा नाम है। देश के भीतर स्थिति यह है कि किसी भी टेलर से पूछ लीजिए, ज्यादा गुंजाइश इस बात की है कि वह सिलाई के लिए वर्धमान के धागे ही इस्तेमाल कर रहा होगा। कंपनी व समूह के बारे में ज्यादा जानकारी आप खुद उसकी वेबसाइट से हासिल कर सकते हैं।
दिसंबर 2010 की तिमाही में कंपनी ने 1009.95 करोड़ रुपए की आय पर 135.57 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले की इसी अवधि में उसकी आय 705.45 करोड़ व शुद्ध लाभ 47.79 करोड़ रुपए था। इसलिए उसकी आय में 43.16 फीसदी और शुद्ध लाभ में 183.68 फीसदी का जबरदस्त इजाफा हुआ है। कंपनी ने ये नतीजे 2 फरवरी 2011 को घोषित किए थे। कमाल की बात है कि तब उसका शेयर 289.50 रुपए पर था। अब घटकर 257.70 रुपए पर आ चुका है। कारण समझ में नहीं आता। वाकई, इस बाजार की महिमा अपरंपार है!! वैसे, इस शेयर का उच्चतम स्तर 376.70 रुपए (26 अक्टूबर 2010) और न्यूनतम स्तर 218 रुपए (4 मार्च 2010) रहा है। यानी शेयर इस समय तलहटी के करीब और शिखर से काफी फासले पर चल रहा है।
इस बीच एक अच्छी चीज और हुई है कि कंपनी ने पांच साल पहले 14 फरवरी 2006 को 6 करोड़ डॉलर के एफसीसीबी (विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड) जारी किए थे। इनकी परिपक्वता तिथि 17 फरवरी 2011 थी। 18 फरवरी को कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया है कि इनमें से 10 लाख बांड को उसने मार्च 2009 में ही वापस खरीद लिए थे। बाकी बचे 5.90 करोड़ बांडों को शेयरों बदलने के बजाय उनकी रकम अदा कर दी गई है। शायद कंपनी के प्रवर्तकों को लगा होगा कि इतने सस्ते में बांडों को शेयरो में बदलने के बजाय उनकी अदायगी में ही फायदा है।
वैसे आपको बता दें कि बीती तिमाही में कंपनी ने अपने 58,82,352 शेयरों का सफल क्यूआईपी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) 340 रुपए के मूल्य पर किया था। क्यूआईपी में म्यूचुअल फंड व एफआईआई जैसे संस्थागत व जानकार निवेशकों को शेयर बेचे जाते हैं। साफ है जिन्हें जानकार लोगों ने कुछ महीने पहले 340 रुपए में खरीदा है, वही शेयर अब आम निवेशकों को 260 रुपए के आसपास मिल रहे हैं। खैर, निवेश का फैसला आपको ही करना है कंपनी के बारे में और ज्यादा तहकीकात कर लेने के बाद।
कंपनी की कुल चुकता पूंजी या इक्विटी 63.65 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 38.99 फीसदी हिस्सा पब्लिक और 61.01 फीसदी प्रवर्तकों के पास हैं जिसमें से कुछ भी गिरवी वगैरह नहीं रखा गया है। पब्लिक के हिस्से में से 3.23 फीसदी एफआईआई और 19.83 डीआईआई (घरेलू निवेशक संस्थाओं) के पास हैं। रिलायंस ग्रोथ फंड ने कंपनी के 3.13 फीसदी, जीआईसी ने 1.01 फीसदी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल डिस्कवरी फंड ने 2.24 फीसदी और एसबीआई मैग्नम ने इसके 1.69 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। हां, एक बात और। कंपनी का पुराना नाम महावीर स्पिनिंग मिल्स रहा है।