अमेरिका भारत के कृषि क्षेत्र में घुसने की हरसंभव कोशिश कर रहा है और भारतीय कृषि बाजार को खुलवाने के लिए वह कानूनी रास्ते भी तलाश रहा है। खासकर वह चाहता है कि भारत अपने डेयरी क्षेत्र और बाजार को विदेशी निवेश व उत्पादों के लिए खोल दे। यह किसी और का नहीं, बल्कि खुद अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि रॉन किर्क का कहना है।
रॉन किर्क ने गुरुवार को अमेरिकी सीनेट में सांसदों को बताया कि, “हम बहुत ज्यादा खीझ (फ्रशट्रेटेड) चुके हैं। मैं आपको बताता हूं कि यह हमारा आम व्यवहार नहीं है कि हम सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करें कि हम कानूनी कार्रवाई करने जा रहे हैं या नहीं, लेकिन मैं आपको बता रहा हूं कि हम भारत को कई कृषि मुद्दों पर अपने बाजार खोलने के लिए हरसंभव उपाय, यहां तक कि हर बाध्यकारी (एनफोर्समेंट) तरीका तक आजमा रहे हैं।”
जाहिर है कि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि किर्क का यह बयान साफ करता है कि वह भारत पर कृषि क्षेत्र को खोलने का दबाव बनाने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंच का भी इस्तेमाल कर रहा है। किर्क ने बताया कि वह दो बार भारत आकर सरकार के सामने यह मुद्दा उठा चुके हैं। उनका कहना था, “हमने यह बात उठाई है… मैं भारत दो बार जा चुका हूं।”
किर्क ने सीनेट को बताया कि भारत एक अरसे से डेयरी व्यापार के नियमों का पालन नहीं कर रहा है। बहुत सारे मसले हैं जिनमें विज्ञान की अनदेखी की जा रही है। छह सालों से भी ज्यादा वक्त से भारत ने अमेरिका के डेयरी उत्पादों का निर्यात अपने यहां रोक रखा है और इसे सुलझाने के लिए कोई बात भी नहीं कर रहा। उनका कहना है कि भारत पिछले तीन सालों से अमेरिका को हर साल औसतन 7.70 करोड़ डॉलर के डेयरी उत्पाद निर्यात कर रहा है, जबकि अमेरिकी डेयरी उत्पादों को वह अपने यहां नहीं आने देता।
बता दें कि किर्क जल्दी ही दिल्ली आनेवाले हैं। इससे पहले की दो यात्राओं में वे सरकार में सर्वोच्च स्तर पर कृषि बाजार को खोलने का मुद्दा उठा चुके हैं। खासकर उनकी कोशिश है कि भारत किसी भी तरह डेयरी उत्पादों का बाजार अमेरिकी निवेश व उत्पादों के लिए खोल दे।