बिहार में शहरीकरण चला पूरी कछुआ चाल से

बिहार में अब पहले से थोड़े ज्यादा लोग अब शहरों में रहने लगे हैं। 2001 तक राज्य की आबादी का 10.50 फीसदी हिस्सा शहरों में रहता था, जबकि 2011 में यह आंकड़ा बढ़कर 11.30 फीसदी हो गया है। लेकिन दस साल में मात्र 80 आघार अंकों या 0.80 फीसदी की वृद्धि से लगता है कि वहां शहरीकरण का सिलसिला एकदम कच्छप गति से चल रहा है।

बिहार के जनगणना निदेशालय में संयुक्त सचिव ए के सक्सेना ने शुक्रवार को पटना में 2011 की जनगणना पर आधारित आंकड़े जारी करते हुए कहा कि एक दशक के दौरान लोगों का गांवों से शहरों की तरफ पलायन बढ़ा है। सक्सेना ने बताया कि इस समय राज्य की कुल आबादी का 88.70 फीसदी हिस्सा ग्रामीण है। 2001 में यह हिस्सा 89.50 फीसदी था।

उन्होंने बताया कि बिहार में सबसे अधिक शहरीकरण की दर बेगूसराय जिले की रही है और दूसरे स्थान पर पूर्वी चंपारण रहा है। पटना जिला सर्वाधिक शहरीकृत है जहां 21.40 फीसदी आबादी शहरों में रहती है। कुल जनसंख्या के मामले में सबसे अधिक, 30.65 फीसदी की दशकीय बढ़ोतरी मधेपुरा जिले की रही और सबसे कम दशकीय बढ़ोतरी गोपालगंज जिले में 18.83 फीसदी दर्ज की गई है। गोपालगंज जिले में प्रति हजार पुरुषों की आबादी पर 1015 महिलाएं हैं।

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