निफ्टी में 5000 का स्तर अपने अंदर हरसंभव नकारात्मकता को सोखे हुए हैं। फिर भी गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि लंबी कूद के लिए कुछ कदम पीछे तो जाना ही पड़ता है। जैसा कि सामने आ चुका है कि निफ्टी में 4800 की सीरीज में जमकर पुट ऑप्शन सौदे हुए है जो दिखाता है कि ज्यादातर मंदड़िए चाहते हैं कि अंततः रुख पलटने से पहले बाजार 4800 तक चला जाए।
आज तो मंदड़ियों का ही पलड़ा भारी रहा। प्री-ओपन सत्र में निफ्टी 0.42 फीसदी बढ़ा था। लेकिन बाद में गिरना शुरू हुआ तो गिरता ही चला गया। कारोबार की समाप्ति पर निफ्टी 2.22 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 5000 के नीचे 4944.15 पर पहुंच गया, जबकि सेंसेक्स भी 2.20 फीसदी की गिरावट के साथ 16,469.79 अंक पर बंद हुआ।
फिर भी निफ्टी में 5000 के स्तर पर बढ़ने की धारणा के साथ केवल एफआईआई ही स्तरीय स्टॉक्स खरीद रहे हैं। इस बीच पी-नोट्स के जरिए भारतीय बाजार में आया निवेश 19.5 फीसदी से घटकर 14 फीसदी पर आ गया है। इससे लगता है कि एक तरफ हेज फंड अपना धन निकाल रहे हैं, वहीं कुछ अज्ञात स्रोतों से बाजार में धन आ रहा है।
इसमें कोई शक नहीं कि बाजार का मूल्यांकन अब ज्यादा आकर्षक हो गया है। लेकिन रिटेल व एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशक या तो अपनी सामर्थ्य भर पूंजी लगा चुके हैं या वे और निवेश करने से डर रहे हैं क्योंकि यहां उनकी पूंजी की हिफाजत की कोई व्यवस्था नहीं है। डीआईआई की अपनी सीमाएं हैं। कॉरपोरेट क्षेत्र म्यूचुअल फंडों से रकम निकाल रहा है तो रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) जैसे स्टॉक्स पर बिकवाली का दबाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है।
एसबीआई और बैंक निफ्टी पर बुरी तरह चोट की गई है और इनमें अब भी गिरावट का अंदेशा है क्योंकि कुछ एफआईआई तो एसबीआई और बैंक निफ्टी को तब से बेच रहे हैं जब से वह (बैंक निफ्टी) 10,500 पर था। हम यह बात आपको पहले भी बता चुके हैं। इसकी वजह कोई आर्थिक धीमापन नहीं, बल्कि इसके शेयरों के स्वामित्व का स्वरूप है। अगर धीमापन ही असली वजह होती तो मंदड़ियों ने एसीसी, वीआईपी इंडस्ट्रीज, टीटीके प्रेस्टिज व हीरो को भी तोड़ डाला होता। वैसे, यह संभव नहीं है क्योंकि इन स्टॉक्स को चलानेवाले ऑपरेटर बाजार पर हमला करनेवाले मंदड़ियों से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं।
खैर, पिछले नौ सालों का इतिहास गवाह है कि मंदड़ियों के हमले के दौरान रहनेवाले भाव कभी भी सही मूल्य को नहीं दर्शाते। फिर भी निवेशक अपना धन लगाने का मन नहीं बना पाते क्योंकि वे हमेशा सही वक्त की उधेड़बुन में लगे रहते हैं। जब तक वे सोचते रहते हैं, तब तक गाड़ी निकल जाती है। बाजार अंग्रेजी के अक्षर V के आकार में बढ़ता है और इसलिए वे ऊंचे भावों पर ही एंट्री कर पाते हैं। यह एक ऐसा सार्वभौमिक सत्य है जिसके चलते निवेशक कभी भी इक्विटी बाजार से कमाई नहीं कर पाते।
फिलहाल बहुत सारे निवेशक व ट्रेडर यह सीखने-समझने में लगे हैं कि अमेरिका व यूरोप के बाजार रोज-ब-रोज कैसे उठते-गिरते हैं। लेकिन मेरा कहना है कि दुनिया के बाजार सुधरें या न सुधरें, भारतीय बाजार जिस तेजी से गिरा है, उतनी ही तेजी से उठेगा।
कायदे से सोच-विचार लें। इसमें भरपूर वक्त लग जाए, तब भी कोई हर्ज नहीं। लेकिन जब करने का समय आए तो सारा सोचना-विचारना ताक पर रख सीधे काम में जुट जाना चाहिए।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)
Kaise chakri aap analist bane aap to Raste pe kele bechne ke layak bhi nai hai aur yakin nai hota aap site daily update karte hai, aap ke daily notes (nifty forcasting articals) se koi invest karta to bhikhmanga ho jata.
Naukari dot com ki report aap jaise ganvaron ke liye hi bani hai shayad. Jaiye aur technical analysis shikhiye aur ho sake to ek ehsan karna jab tak forcasting ki akl na aaye apni bakwas mat post karna. Aap me forcasting karne jitni akl na hai aur na hi ho sakti hai kyunki aap to fundamentalist hai na. Masumo ka paisa dubane ke wajah mat bano.
Bhagwan aap ko akl aur sadbuddhi de.
Dhanywad.
युवराज जी, इतनी तल्ख भाषा के इस्तेमाल के लिए आपका शुक्रिया। लेकिन पहले ये तो समझ लिया होता है कि चक्री का कॉलम अर्थकाम की संपादकीय सामग्री से एकदम भिन्न व स्वतंत्र है। आपने यह टिप्पणी चर्चा-ए-खास कॉलम में कर दी थी, जिसे मैंने उठाकर जस का तस यहां चस्पा कर दिया है।
चक्री का कॉलम सीएनआई रिसर्च का पेड कॉलम है जिसे हम उनसे विशेष अनुमति लेकर यहां पेश कर रहे हैं। इस कॉलम का मूल मकसद लोगों का शिक्षण है, न कि निवेश की सलाह देना। उनकी किसी भी सलाह के लिए अर्थकाम जिम्मेदार नहीं हैं। बाकी अर्थकाम की किसी अन्य पेशकश पर आपको एतराज हो तो खुलकर लिखें। उसे हम दुरुस्त करने की कोशिश करेंगे। लेकिन हिंदी में हो रहे इस तरह के अभिनव प्रयोग पर हमला तो न कीजिए। आपकी टिप्पणी का स्वर ऐसा ही लगा। बाकी आप खुद समझदार हैं।