खुशी न खाने में है, न सोने में। पीने में थोड़ी-सी है क्योंकि इससे हम अपनी मूल प्रकृति के करीब आ जाते हैं। असली खुशी गुत्थियां सुलझाने में है क्योंकि इससे हम अपने परिवेश के साथ लयकार हो जाते हैं।
2011-07-02
खुशी न खाने में है, न सोने में। पीने में थोड़ी-सी है क्योंकि इससे हम अपनी मूल प्रकृति के करीब आ जाते हैं। असली खुशी गुत्थियां सुलझाने में है क्योंकि इससे हम अपने परिवेश के साथ लयकार हो जाते हैं।
© 2010-2020 Arthkaam ... {Disclaimer} ... क्योंकि जानकारी ही पैसा है! ... Spreading Financial Freedom