दूरसंचार नियामक संस्था, ट्राई ने देश भर के लिए 6.2 मेगाहर्ट्ज 2जी स्पेक्ट्रम की कीमत कई गुना बढाने का सुझाव दिया है जो वित्तीय रूप में मौजूदा और नई दूरसंचार कंपनियों पर बड़ा असर डाल सकता है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) का सुझाव है कि देश भर के लिए 6.2 मेगाहर्ट्ज 2 जी स्पेक्ट्रम की कीमत को बढाकर 10,972.45 करोड़ रुपए कर दिया जाए जो फिलहाल 1658 करोड़ रुपए है। इस आधार पर 2008 में अखिल भारतीय स्तर पर दिए गए 6 नए लाइसेंसों से सरकार को 65,834.7 करोड़ रुपए मिले होते। साथ में कम सर्किलों के लिए अलग रकम मिली होती है। वैसे, कैग ने गलत आवंटन से सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की बात कही है।
दूरसंचार विभाग को दी गई सिफारिशों में ट्राई ने कहा है कि देश भर के लिए प्रत्येक अतिरिक्त मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की कीमत 4571.87 करोड़ रुपए हो। यह शुल्क 6.2 मेगाहर्ट्ज के शुरआती स्पेक्ट्रम के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खरीदने पर चुकाना होगा।
उल्लेखनीय है कि भारती, वोडाफोन, आइडिया, बीएसएनएल व एमटीएनएल जैसी सभी बड़ी दूरसंचार कंपनियों के पास 6.2 मेगाहर्ट्ज के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम ही हैं और नए नियमों का कार्यान्वयन उन पर भारी वित्तीय बोझ डाल सकता है।