चलना ऐसे, जैसे तलवार की धार पर

अगर आप जाने-अनजाने, किसी के कहने या गलती से या खुद अपने-आप इक्विटी बाजार में आ ही गए हैं तो मौजूदा देशी-विदेशी हालात का खामियाजा आपको भुगतना ही पड़ेगा। शेयर बाजार में ऐसा होता ही है, इससे बचा नहीं जा सकता। असल में इसीलिए शेयर बाजार सबसे ज्यादा जोखिम से भरा माना जाता है। लेकिन अब तो सुरक्षित माने जानेवाले ऋण बाजार ने भी निवेशकों को झटके देना शुरू कर दिया है। सोना जैसा माध्यम तक सुरक्षित नहीं है। अभी हाल में यूरोपीय संकट के गहरा होने पर कैसे लोग सोने से निकलकर कैश बटोरने के चक्कर में पड़ गए थे!!

सितंबर को बहुत अशुभ महीना बताया गया और कहा गया था कि इस सेटलमेंट में निफ्टी 4300 तक पहुंच जाएगा। ऐसा नहीं हुआ तो मंदड़ियों का खेमा अब कहने लगा है कि निफ्टी गिरकर 3700 तक चला जाएगा। समझ में नहीं आता कि इस पर हंसा जाए या रोया जाए। सूत्रों के मुताबिक इसके पीछे की कथा यह है कि एक ब्रोकिंग हाउस ने 14 डीलरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है तो वे मिलकर 3700 की सनसनी फैलाने में जुट गए हैं। क्या ऐसा हो जाएगा?

हां, ऐसा यकीनन हो सकता है बशर्ते अमेरिका के एफआईआई बैंकर लेहमान ब्रदर्स की तरह दिवालिया हो जाएं। यूरोप इसका कारण कतई नहीं हो सकता। वही निवेशक इस मौके का फायदा उठा सकता है जो इसके लिए पहले से तैयारी कर चुका होगा। लेकिन अगर बैंकरों के साथ ऐसा कुछ नहीं होता तो निफ्टी कतई 3700 तक नहीं जा सकता।

इसकी गुंजाइश इसलिए भी नहीं लगती क्योंकि 2008 में जो भी हुआ, वो एकदम अप्रत्याशित था। हाउसिंग क्षेत्र के सब-प्राइम संकट को बहुत कमतर आंका गया था। इसलिए उसका प्रभाव बहुत तगड़ा था। लेकिन इस बार ऐसी कोई वारदात या हादसा नहीं हुआ है जिससे अमेरिका के बैंक डूब जाएं। हालांकि हम मानते हैं कि दुनिया के वित्तीय आकाश पर घहराते बादल अभी बने रहेंगे क्योंकि अमेरिका में क्यूई-3 इस कैलेंडर वर्ष में नहीं, बल्कि कैलेंडर वर्ष 2012 में आनेवाला है। अभी अमेरिका अपने अल्पकालिक व दीर्घकालिक ऋणों में सही समायोजन बिठाने में लगा है। लेकिन जनवरी-फरवरी 2012 के आसपास क्यूई-3 के आते ही क्षितिज पर नई लाली छा जाएगी।

इसका साफ मतलब यह है कि अगले तीन महीने जनवरी से मार्च 2009 की तरह होने जा रहे है जब व्यग्रता के बीच बाजार ने खुद को जमाया था। इस तिमाही में भी हमारा मानना है कि बाजार 1000 अंकों का इधर-उधर झटका मारकर खुद को जमाने का सरंजाम करेगा। ट्रेडर इस वोलैटिलिटी को परखकर मार कर सकते हैं। इस दौरान मजबूत हाथ और मजबूत होंगे, जबकि कमजोर खिलाड़ी हर स्तर पर खाक होते चले जाएंगे, चाहे वे एचएनआई हों, डीआईआई हों, ऑपरेटर हों, कॉरपोरेट हस्तियां हों या एफआईआई।

ऐसे में साफ संदेश यह निकलता है कि दिसंबर तक के तीन महीनों में आशा को खत्म न होने दें, हर गिरावट पर खरीदें, शॉर्ट सौदों से कमाई के चक्कर में न पड़ें, कभी डेरिवेटिव सौदों में हाथ न डालें जहां आपको असली औकात से ज्यादा निवेश करने का मौका मिलता है, कर्ज लेकर निवेश न करें और अगर खरीद न सकें तो कम से कम जो भी है उसे होल्ड करके रखें।

फिलहाल बाजार में होती तेज ऊंच-नीच और गिरावट की फिक्र न करें। देखते रहें कि वह समर्थन स्तरों से कितनी बार पलटता है। बहुत ज्यादा मूल्यांकन वाले स्टॉक्स से बचें क्योंकि एफआईआई उनमें मुनाफावसूली यानी बेचकर मुनाफा कमाने की कोशिश कर सकते हैं। ब्याज दरों के प्रभावित होनेवाले स्टॉक्स इस समय बेहद ओवरसोल्ड अवस्था में हैं। जब भी इन दरों का बढ़ना रोकने की खबर आएगी, इनमें उछाल आएगा। यूरोप की चिंताओं पर सिर खपाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उसका हम कुछ नहीं कर सकते और वो हमारा खास कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

अहम सवाल यही है कि क्या सब कुछ पटरी पर आ जाएगा? क्या सारी नकारात्मकता और प्रतिकूलता खत्म हो जाएगी? जवाब। मुद्रास्फीति खुद-ब-खुद ठंडी हो जाएगी। मीडिया और अर्थशास्त्री अब सप्लाई अर्थव्यवस्था का हल्ला मचाने लगे हैं तो सरकार को देर-सबेर इसे दुरुस्त करना ही पड़ेगा। लघु म मध्यम उद्योग (एसएमई) क्षेत्र में डिफॉल्ट होना शुरू हो गया है। इसलिए रिजर्व बैंक को बाध्य होकर ब्याज दरों में वृद्धि का सिलसिला रोकना पड़ेगा। पिछली तीन तिमाहियां हमारे कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए बुरी रही हैं। लेकिन अब कमोडिटी की कीमतों में तेज गिरावट के चलते तीसरी व चौथी तिमाही के अच्छा रहने की उम्मीद है। यानी, भारतीय बाजार के लिए सारे संकेत शुभ हैं।

रीयल्टी के मूल्यों के अब धड़ाम हो जाने का अंदेशा है क्योंकि इनका बिकना एकदम थम गया है और किराए घटने लगे हैं। मुंबई के अंधेरी इलाके में ऑफिस का किराया 150-200 रुपए प्रति वर्गफुट से घटकर 80 से 140 रुपए प्रति वर्गफुट पर आ गया है जो पिछले पांच सालों का न्यूनतम स्तर है। इससे बड़े धन की धारा रीयल्टी से इक्विटी यानी शेयर बाजार की तरफ मुड़ जाएगी।

इधर शेयर बाजार में एफआईआई का निवेश 20 फीसदी के ऊपर से घटकर 15 फीसदी से नीचे और रिटेल का निवेश 12 फीसदी से घटकर 6 फीसदी पर आ गया है। यह साफ आधार है कि अब बाजार के निचले स्तरों पर खरीद का झोंका आना चाहिए। हमारा मानना है कि 4730 निफ्टी में समर्थन का मजबूत स्तर है। फिलहाल हम इस समर्थन स्तर से 4 फीसदी ऊपर चल रहे हैं। लंबे समय की सोच रखनेवाले छोटे व समझदार निवेशकों को अपना धन लगाते हुए यह बात ध्यान में रखनी चाहिए।

मुझे यकीन है कि मार्च 2012 तक हम सेंसेक्स में 20,000 के स्तर को पार कर जाएंगे क्योंकि जब भी बाजार सुधरेगा तो वह मार्च 2009 की तरह दोबारा घुसने का मौका नहीं देगा। हालांकि निवेशक इधर काफी चौकन्ने व चालाक हो गए हैं, लेकिन बाजार उन्हें मात दे देगा क्योंकि वह हमेशा कुल मिलाकर निवेशकों से ज्यादा जानता है। इधर यह भी हो रहा है कि थोड़े समय का अनुभव निवेशकों को गलत ट्रैक पर लिए जा रहा है जिसका सबक उन्हें भारी कीमत चुकाकर समझ में आएगा। इस बीच नवरात्र से लेकर दशहरा और दीवाली की जगमग का आनंद लीजिए। बाकी सब तो चलता ही रहता है।

1 Comment

  1. Sir, What we shoud do in your stock of the year, CAMPHOR

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