इस बार का बजट न तो सरकार के घाटा प्रबंधन और न ही कृषि या उद्योग के लिए अच्छा रहा है। जबरन सच्चाई से आंखें चुराई गई हैं। फिर भी हमारा शेयर बाज़ार शुरुआती झटका खाने के बाद पहले जैसा कुलांचे मारने लगा है। विदेशी संस्थाओं ने कुछ दिन बेचा, मगर फिर वे भी खरीदारी पर उतर आए। सोचने की बात है कि आखिर बाज़ार की इस कुतर्की चाल की वजह क्या है? अब सोमवार का व्योम…
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