विदेश मंत्री एस. जयशंकर मॉस्को तक में रोना रो रहे हैं कि चीन रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है और भारत काफी कम। फिर भी भारत पर 25% टैरिफ के ऊपर 25% पेनाल्टी क्यों? इसका जवाब अमेरिका के दो शीर्ष पदाधिकारी पहले ही दे चुके हैं, जिसे जयशंकर सुनना नहीं चाहते। वहां के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेस्सेंट का जवाब है कि चीन य़ूक्रेन युद्ध के पहले रूस से कच्चा तेल खरीदता रहा है। पहले यह 13% था, अब 16% है। उसने इससे मुनाफा नहीं कमाया। वहीं, भारत पहले 1% कच्चा तेल रूस से खरीदता था, जबकि अब 42% खरीद रहा है। उन्होंने अम्बानी का नाम लिये बिना कहा कि इससे भारत सरकार के कुछ करीबी अमीरतम लोगों ने 1600 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त मुनाफा कमाया है। वहीं, डोनाल्ड ट्रम्प के व्यापार सलाहकर पीटर नेवारो ने फाइनेंशियल टाइम्स में एक लेख में लिखा है कि चीन रूस से तेल लेकर अपनी जनता को सस्ते भाव पर दे रहा है, जबकि भारत में रूस से खरीदा तेल राजनीतिक दखल वाले खरबपति प्रोसेस कर निर्यात से मुनाफाखोरी कर रहे हैं। रूस से सस्ते तेल आयात से जनता को ज़रा-सा फायदा नहीं पहुंचा। इसीलिए भारत पर पेनाल्टी लगाई गई। यह तथ्य इस विद्रूप सच का सबूत है कि मोदी सरकार चंद मित्रों का धंधा बढ़ाने और जनता से टैक्स की वसूली में नए रिकॉर्ड बनाती जा रही है। अब सोमवार का व्योम…
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