न्यूनतम रिस्क, अधिकतम रिटर्न। हर कोई यही चाहता है। यह चाह पूरी की जा सकती है, बशर्ते हम भरपूर नाप-जोख कर लें। बाज़ार में भगवान तो ट्रेडिंग करता नहीं। जो भी करते हैं इंसान ही करते हैं। अल्गो ट्रेडिंग की डोर इंसान ही संभालता है। कुछ इंसान बाज़ार का रुख तय करते हैं, जबकि ज्यादातर इंसान इस रुख में बहते हैं। हमें इन्हीं कुछ इंसानों की चाल को पकड़ने का हुनर सीखना है। रुख करें बाज़ार का…औरऔर भी

चीज़ कितनी भी अच्छी या काम की हो, बाज़ार में उसे भाव तभी मिलता है जब लोगों की निगाह में वो चढ़ जाती है। शेयरों के साथ भी यही होता है। लेकिन लोकतंत्र में जिस तरह मतदान गुप्त रखा जाता है, उसी तरह यहां कौन-कौन खरीद-बेच रहा है, यह जाहिर नहीं होता। संस्थागत निवेशकों का रुख पता चल जाए तो ट्रेडरों की किस्मत खुल जाती है। यह मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं। पकड़ते हैं आज की दशा-दिशा…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में तेज़ी का फायदा दो लोगों को मिलता है। एक, जिनके पास कंपनियों के शेयर पहले से हैं और दो, जो बदलते रुख से ताल मिलाकर फटाफट ट्रेडिंग करते हैं। कमाल की बात है कि एयरलाइन का टिकट महंगा हो जाए तो हवाई सफर करनेवाला दुखी हो जाता है, लेकिन यहां तेज़ी के दौर में शेयरों के महंगा होने पर उसे न रखनेवाला चहककर बाज़ार की तरफ दौड़ पड़ता है। सोचिए-समझिए। अब मौके की बात…औरऔर भी

इधर प्रोफेशनल ट्रेडरों से मिलना जारी है। बड़े संत मानसिकता के होते हैं ऐसे ट्रेडर। दूसरे शब्दों में कहें तो आप अगर संत मानसिकता में रहते हैं तभी ट्रेडिंग में कामयाब होते हैं। नियम है कि आप ट्रेडिंग तभी करें, जब आप मन और भावना के स्तर पर खुश हों। जिस दिन किसी से लफड़ा हुआ हो, बीवी/पति से झगड़ा हुआ हो, मन से अशांत हों, उस दिन ट्रेडिंग कतई न करें। अब सुनें आगे का हाल…औरऔर भी

यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के नतीजे 14 मई को आए। पता चला कि मार्च 2013 की तिमाही में डूबत ऋणों के चलते उसका शुद्ध लाभ 79.11% घटकर 31.18 करोड़ रुपए पर आ गया। लेकिन उसका शेयर पिछले तीन दिनों में 1.63% बढ़कर कल 59.20 रुपए पर पहुंच गया। भाव कभी झूठ नहीं बोलते। फिर खराब नतीजों से वो गिरे क्यों नहीं? ऐसे सवाल ही शेयर बाजार के बारे में हमारी समझ को बढ़ाएंगे। अब नज़र आज पर…औरऔर भी

भारत ही नहीं, सारी दुनिया के शेयर बाज़ार कुलांचे मार रहे हैं। क्या अर्थव्यवस्था ही हालत सुधर गई? क्या भविष्य बड़ा सुनहरा दिखने लगा? कंपनियों के मुनाफे बहुत बढ़ गए? अपने यहां कहा जा रहा है कि मुद्रास्फीति इतनी घट गई है कि रिजर्व बैंक 17 जून को ब्याज दर में 0.25% और 30 जुलाई को 0.25% कमी करेगा। इसलिए सेंसेक्स और निफ्टी जनवरी 2011 के बाद के शिखर पर हैं। पर असली वजह कुछ और है…औरऔर भी

शेयर बाज़ार कोई डॉन नहीं, जिसको पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो। हालांकि वो किसी का जमूरा भी नहीं। दिग्गज ऑपरेटर तक यहां दिवालिया हो जाते हैं। लेकिन यहां प्रवाह का तर्क चलता है। अगर किसी तरह सप्लाई और डिमांड की सही-सही स्थिति समझ लें तो घटने या बढ़ने का पता पहले से लग जाएगा। आखिर ऑपरेटर, इनसाइडर या बड़े संस्थान ऑर्डर जेब में नहीं, बाज़ार में ही तो रखते हैं। उतरते हैं आज के बाज़ार में…औरऔर भी

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घट कर 13 महीनों के न्यूनतम स्तर 9.39% पर। सोना आयात 138% बढ़कर 750 करोड़ डॉलर। व्यापार घाटा जा पहुंचा 1778.74 करोड़ डॉलर पर। चकराया बाज़ार चिंता से। शेयर में 1230 की खरीद, लक्ष्य 1305 का, स्टॉप लॉस 1215 का। ज्यादा गिर गया तो लगा स्टॉप लॉस। पर घाटा रहा 1.22% पर सीमित। ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस से कोई नहीं बचा। तो ज़ोर से दें ताली और देखें आगे…औरऔर भी

अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं। परपंरा है कि इस दिन सोना खरीदा जाता है तो तमाम ज्वैलरों ने इसे भुनाने के लिए लुभावनी पेशकश कर रखी है। यहां तक कि गोल्ड ईटीएफ में ट्रेडिंग के लिए बीएसई और एनएसई ने बाज़ार को 7 बजे तक खुला रखा है। 9.15 से लेकर 3.30 तक सामान्य ट्रेडिंग, फिर 4.30 से लेकर 7 बजे तक विशेष ट्रेडिंग। सोना खरीदना ही हो तो गोल्ड ईटीएफ खरीदें। अब देखते हैं आज का बाज़ार…औरऔर भी

चींटियों से चलने से घास भी नहीं हिलती, जबकि हाथी सूखी ज़मीन तक पर छाप छोड़ जाते हैं। लेकिन, चींटी खट से मुड़ जाती है, जबकि हाथी को वक्त लगता है। जो लोग घड़ी-घड़ी शेयरों की चाल देखकर रुख समझने का शगल पालते हैं, वे अक्सर गच्चा खाते हैं। शेयर बाज़ार में ‘हाथियों’ के ऑर्डर पांच-सात दिन लगाते ही हैं। इसलिए उनके रुख को पकड़ने का टाइमफ्रेम बड़ा होना चाहिए। वैसे, कल ढाई बजे क्या हमला हुआ!…औरऔर भी