हर-हर मोदी के साथ बढ़ा घर-घर कर्ज!
गजब की विडम्बना है। एक तरफ भारत सरकार अपना 96% ऋण देश के आम लोगों की बचत या बैंक डिपॉजिट से हासिल कर रही है, वहीं दूसरी तरफ इन्हीं आम लोगों को घर-खर्च और खपत को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। रिजर्व बैंक की ताज़ा फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2025 तक भारतीय परिवारों ने जो ऋण ले रखा है, उसका 54.9% हिस्सा घर या जेवरात खरीदने के लिए नहीं, बल्किऔरऔर भी