खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अब स्वीकार कर लिया है कि पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार माल व सेवा कर (जीएसटी) को 1 अप्रैल 2011 से लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने बुधवार को मुंबई में इनकम टैक्स, कस्टम्स व सेंट्रल एक्साइज के चीफ कमिश्नरों और कमिश्नरों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “मैंने अपनी तरफ से जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक को संसद के मानसून सत्र में लाने की हरसंभव कोशिश की। आपऔरऔर भी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को नए प्रत्यक्ष कर विधेयक को मंजूरी दे दी है। अब इसे सोमवार 30 अगस्त को संसद में पेश किया जाएगा, जहां आम राजनीतिक सहमति को देखते हुए इसके फौरन पास हो जाने की उम्मीद है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के मुताबिक विधेयक में व्यक्तिगत आय की करमुक्त सीमा को 1.6 लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख करने का प्रस्ताव है। साथ ही कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी रखी गई है औरऔरऔर भी

यूं तो संसद में पेश किया गया कटौती प्रस्ताव सरकार के लिए काफी खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसके पारित होने पर सरकार गिर सकती है। इसे अनुदान मांगों या किसी प्रस्ताव के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किया जाता है। लेकिन इसकी कामयाबी का सारा दारोमदार लोकसभाध्यक्ष पर है। अगर उन्होंने कटौती प्रस्ताव पर सदन में मतदान की इजाजत नहीं दी तो मूल प्रस्ताव या अनुदान मांगों को ही पारित मान लिया जाता है। मान लिया जाताऔरऔर भी