जुलाई से नहीं चलेगा, उसी दाम में छोटे पैक का खेल
रोजमर्रा के उपयोग की चीजें बनानेवाली कंपनियों ने दो-तीन सालों से सिलसिला चला रखा है कि दाम स्थिर रखते हुए वे पैक का साइज या वजन घटा देती हैं। उनका तर्क रहता है कि वे कच्चे माल की लागत को समायोजित करने के लिए ऐसा करती है। लेकिन अगले साल जुलाई से वे ऐसा नहीं कर पाएंगी। सरकार पारदर्शिता लाने में जुट गई ताकि ग्राहक को सही-सही पता रहे कि वह कितने दाम में कितना सामान खरीदऔरऔर भी