मित्रों! मेरा मकसद न तो आपको टिप्स देना है और न ही आपसे कमाई करना। मेरा पहला मकसद है उन सूचनाओं की खाईं को भरना जो अंग्रेज़ी जाननेवालों को आसानी से मिल जाती हैं, जबकि हिंदी जगत अंधेरे में टटोलता रहता है। यही हाल मराठी और अन्य भारतीय भाषाएं बोलने वालों का है। दूसरा मकसद है अंग्रेज़ी जाननवाले भी जिन जटिलताओं से घबराते हैं, उन्हें सुलझा देना। अब ट्रेडिंग की ऐसी ही कुछ उलझनों को सुलझाने केऔरऔर भी

शेयर बाज़ार में ज्यादातर वही लोग आते हैं, जिनके पास झमाझम धन होता है। गरीब-गुरबां बहुत हुआ तो लॉटरी या जुए तक सिमटकर रह जाते हैं। लेकिन इन अतियों के बीच देश भर में शायद लाखों लोग ऐसे होंगे जो शेयर बाज़ार में इफरात धन बनाने के मकसद से उतरते हैं। शेयर बाजार में हर दिन करीब 3.15 लाख करोड़ रुपए का टर्नओवर होता है। उन्हें लगता है कि इसमें से हर महीने तीस-चालीस हज़ार रुपए तोऔरऔर भी

इनफोसिस का अचानक एक दिन में 10.92% उछल जाना। निफ्टी का फिर से 6000 के ऊपर चले जाना। क्या यह तेज़ी का नया आगाज़ तो नहीं? असल में हर तेज़ी और मंदी के बाज़ार के पीछे मूलभूत या फंडामेंटल कारक होते हैं। अभी के दो मूलभूत कारक हैं अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बरनान्के की तरफ से बांड खरीद पर लटकी तलवार हटा लेने का बयान और इनफोसिस के उम्मीद से बेहतर नतीजे। लेकिनऔरऔर भी