ट्रेडिंग में आप सामनेवाले से ज़रा-सा भी बेहतर हुए तो कमाओगे। जैसे, 60% सौदे सही हुए और रिस्क-रिवॉर्ड 1:2 का भी रखा तो महीने के 20 में से आठ गलत सौदों में 2% के स्टॉप-लॉस के हिसाब से आपका घाटा हुआ 16%, जबकि बाकी 12 सौदों में 4% के हिसाब से 48% फायदा होगा। इस तरह कुल फायदा 32% निकला। ब्रोकरेज वगैरह काटकर महीने का 25% फायदा भी बहुत होता है। परखते हैं अब मंगलवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

ट्रेडिंग ‘ज़ीरोसम गेम’ है। एक का नुकसान दूसरे का फायदा। सामनेवाला जब पूंजी और जुनून के साथ ट्रेड करने बैठता है तो निपट मूर्ख नहीं होता। यहां ‘हम ही सही और वो गलत’ की सोच कतई व्यावहारिक नहीं। इसलिए कोई दावा करे कि उसकी सलाह 80-90% सटीक होती है तो वह पक्का झूठ बोलता है। बाज़ार को पकड़ना को इतना ही आसान होता तो हर कोई कर लेता। यहां 60% स्ट्राइक-रेट अभीष्टतम है। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी

बाज़ार और लोकतंत्र आपस में अभिन्न रूप से संबद्ध हैं। यहां विचारों और धारणा में भिन्नता ज़रूरी है। सोचिए, अगर सारे लोग किसी स्टॉक के भाव को लेकर मान बैठें कि उसे बढ़ना है तो कौन मूर्ख होगा जो उसे बेचेगा। बेचता वही है जो मानता है कि वह स्टॉक आगे जाकर गिरनेवाला है। लोगबाग एक-दूसरे से एकदम उल्टी सोच रखते हैं तभी खरीद-फरोख्त होती है और बाज़ार चलता है। आइए, अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

ट्रेडिंग से कमाई के लिए अनुशासन से बंधी मेहनत करनी पड़ती है। कोई भी ऐसा ट्रेडर नहीं जो बिना तैयारी के स्क्रीन के सामने बैठ जाए और बराबर कमाई करता रहे। सफलता के लिए आपके पास स्पष्ट ट्रेडिंग प्लान होना ज़रूरी है। कौन से इंडीकेटर देखने हैं, कौन से शेयरों पर नज़र रखनी है, रिस्क-रिवॉर्ड का अनुपात कितना लेकर चलना है, आदि-इत्यादि। हम इसमें इनपुट भर दे सकते हैं, लड़कर जीतना आपको है। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

बैंक, हेज फंड, बीमा कंपनियां, एफआईआई व म्यूचुअल फंड जैसी संस्थाएं शेयर या किसी भी वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में बराबर मुनाफा कमाती हैं। वहीं 99% रिटेल ट्रेडर बराबर घाटा खाते हैं। आखिर क्यों? दोनों के पास तो वही भाव और समान सूचनाएं होती हैं! कोई तो धार रिटेल ट्रेडरों से छिटकी पड़ी है। दोस्तों! हम उसी धार को सामने लाने की पुरज़ोर कोशिश में लगे हैं ताकि घाटे का सिलसिला टूट जाए। अब बुधवार की बुद्धि….औरऔर भी

सेंसेक्स व निफ्टी रिकॉर्ड ऊंचाई पर। सेंसेक्स 4.11% बढ़ कर 29,278.84 और निफ्टी 3.78% ऊपर 8835.60 पर बंद हुआ। पांचों दिन सूचकांक बढ़ते रहे। लेकिन इस दौरान हर दिन बाज़ार में बढ़ने वाले शेयरों का अनुपात घटता रहा। सोम को एनएसई में ट्रेड हुई कुल कंपनियों में से 58.28% के शेयर बढ़े थे, वहीं यह अनुपात शुक्र को 32.47% पर आ गया। साफ है कि बाज़ार की तेज़ी का आधार सिकुड़ता गया है। क्या है इसका मतलब…औरऔर भी

वित्तीय बाज़ार में ज्यादातर लोग विफल होते हैं तो सोचते हैं कि कोई तो छिपी हुई तकनीक या टेक्निकल एनालिसिस का जटिल इंडीकेटर होगा जो उनसे छूटा जा रहा है। ऐसी मनःस्थिति में कुछ लोग जादुई चिराग लेकर उनके सामने आ जाते हैं और दावा करते हैं कि उनका तीर कभी खाली नहीं जाता। लेकिन वहां भी धोखा मिलता है। हमारा यकीन मानिए: किसी के पास कोई जादुई मंत्र नहीं है। अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार पर ज्ञान तो बहुतेरा है। किताबों से लेकर इंटरनेट तक विपुल भंडार है। लेकिन फायदा वही कराता है जिसे हम सोच व व्यवहार में उतार सकें। जैसे, कहते हैं कि स्टॉप-लॉस को ट्रेडिंग के बिजनेस की लागत मानकर चलें। लेकिन गणना के गलत होते ही कोई शेयर डूबता है तो हमारा मन भी डूब जाता है। इसलिए 2% से ज्यादा स्टॉप-लॉस वाले सौदे को कभी हाथ नहीं लगाना चाहिए। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

कहीं से खास अच्छी खबर नहीं आई। वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष 2014-15 में 5.6% रहेगी। वहीं, आईएमएफ ने 2015 व 2016 में विश्व की आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर क्रमशः 3.5% व 3.7% कर दिया। फिर भी सेंसेक्स 2.01% और निफ्टी 1.89% बढ़कर नए शिखर पर पहुंच गए। क्यों और कैसे? बाज़ार को समझने की कुंजी छिपी है इसके जवाब में। अब पकड़ें बुध की बुद्धि…औरऔर भी

किसी भी बाज़ार के सफल कामकाज़ के लिए भावों पर असर डालने वाली सारी घोषित सूचनाओं तक सभी ट्रेडरों की समान पहुंच का होना ज़रूरी है। पर व्यवहार में ऐसा होता नहीं। अपने यहां तो खुद प्रवर्तक, ऑपरेटरों के साथ मिलकर खेल करते हैं। अंदर की खबरों पर आधारित इस तरह की इनसाइडर ट्रेडिंग अवैध है। फिर भी सेबी की तमाम कोशिशों के बावजूद यह अपने यहां की कड़वी हकीकत है। करते हैं अब मंगल का अभ्यास…औरऔर भी