हर दिन मिले आत्मसम्मान को चुनौती
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है तो याद दिला दें कि यह मजदूरों के आत्मसम्मान व मर्यादा को हासिल करने का दिन है। लेकिन वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग की बात करें तो वह भी एक ऐसा बिजनेस है जहां आपके आत्मसम्मान को हर दिन चुनौती मिलती है। बाज़ार चंद मिनट में आपको गलत साबित कर सकता है। आप उससे तर्क-वितर्क भी नहीं कर सकते। आपकी निजी धारणा या अनुमान हो सकता है। पर, बाज़ार उसकी रत्ती भर परवाह नहींऔरऔर भी
कैसे रोकी जाए मासूम ट्रेडरों की ठगी
शेयर बाजार में ट्रेडिंग का यह कॉलम शुरू हुए करीब चार साल होने जा रहे हैं। इसकी प्रेरणा तब मिली, जब हमने देखा कि हिंदी, मराठी या गुजराती भाषी तमाम लोग टिप्स पर ट्रेडिंग करते हैं। कंपनी को ऑर्डर मिलनेवाले हैं, बड़ा एफआईआई खरीदने जा रहा है, म्यूचुअल फंड की खरीद आनेवाली है या बाज़ार का कोई बड़ा खिलाड़ी हाथ लगानेवाला है। ऐसे सफेद झूठ फैलाकर मासूम ट्रेडरों को ठगा जा रहा था। मासूम ट्रेडरों की ठगीऔरऔर भी
ट्रेडिंग में न ग्रुप काम आए, न खबरें
संघे-शक्तिः कलियुगे। आज जिसके पास संगठन और समूह है, वही जीतता है। अक्सर ट्रेडिंग में अकेले पड़ जाने के बाद हमें भी ऐसा लगता है। हम किसी न किसी ग्रुप से जुड़ने की फिराक में पड़ जाते हैं। कहीं नहीं तो फेसबुक जैसी सोशल वेबसाइट्स पर ही ग्रुप बना लेते हैं। लेकिन इससे ट्रेडिंग की सफलता में सचमुच हमें कुछ फायदा मिलता है या इसमें भी अच्छी-बुरी संगत से फर्क पड़ता है? ट्रेडरों में दो खास ग्रुपऔरऔर भी
ट्रेडिंग के घाटे-मुनाफे में बहते हॉर्मोन
हमारे अंदर जो भी भावनाएं या विचार उठते है, उससे शरीर में खास तरह के हॉर्मोन बनते हैं। साथ ही हॉर्मोनों का स्राव हमारी मानसिक अवस्था का निर्धारण भी करता है। शेयर या किसी भी वित्तीय बाज़ार में भी यह क्रिया-प्रतिक्रिया चलती रहती है। ऐसी ट्रेडिंग के दौरान हमारी स्थिति बराबर करो या मरो की रहती है। लालच और भय की भावनाएं हमें जकड़ लेती हैं। तनाव में हमारे शरीर की एड्रेनल ग्रंथि से कोर्टिज़ॉल नामक हॉर्मोनऔरऔर भी
वित्तीय आज़ादी है मैराथन दौड़ जैसी
जानकारी हासिल करना आजकल बड़ा आसान है। गूगल पर सर्च करो और पलक झपकते हज़ारों सूचनाएं हाज़िर। लेकिन मंथन के बाद उन्हें ज्ञान तक पहुंचाने और हुनर बनाने में भरपूर वक्त लगता है। इस दौरान किसी साधना जैसा अनुशासन बरतना होता है। इसी तरह ट्रेडिंग में जब तक अपने माफिक पद्धति पा न ली जाए, तब तक धैर्य अपनाना पड़ता है। लेकिन अक्सर किनारे पर पहुचने से ठीक पहले कश्ती डूब जाती है। असल में जानकारी याऔरऔर भी
ट्रेडिंग के लाभ नहीं, चुनौतियां भी देखें
जब कोई शेयर या कमोडिटी जैसे वित्तीय बाज़ार में ट्रेडिग करने की सोचता है तो उसके मन में हर तरफ से लड्डू ही लड्डू फूटते हैं। कितना मज़ा आएगा! न कोई बॉस, न सुबह-सुबह ऑफिस जाने का झंझट! घर पर बैठकर अपने लैपटॉप से ट्रेडिंग। बचत से ढाई लाख रुपए भी लगाए तो महीने में 10% कमाने पर ही 25,000 आ जाएंगे। बाकी मूलधन सुरक्षित। इससे ज्यादा और क्या चाहिए रिटायरमेंट के बाद। ट्रेडिंग में उतरनेवाला हरऔरऔर भी