हमारे अंदर जो भी भावनाएं या विचार उठते है, उससे शरीर में खास तरह के हॉर्मोन बनते हैं। साथ ही हॉर्मोनों का स्राव हमारी मानसिक अवस्था का निर्धारण भी करता है। शेयर या किसी भी वित्तीय बाज़ार में भी यह क्रिया-प्रतिक्रिया चलती रहती है। ऐसी ट्रेडिंग के दौरान हमारी स्थिति बराबर करो या मरो की रहती है। लालच और भय की भावनाएं हमें जकड़ लेती हैं। तनाव में हमारे शरीर की एड्रेनल ग्रंथि से कोर्टिज़ॉल नामक हॉर्मोन निकलता है जो एक स्तर से ज्यादा होने पर हृदय समेत सारी प्रतिरोधक क्षमता को तगड़ा नुकसान पहुंचाता है। यह हॉर्मोन सुबह 4 से 8 बजे तक न्यूनतम से अधिकतम पर पहुंच जाता है।
फिर भी इंसान को इसका कोई भान नहीं रहता। उसको लगता है कि वो जो चाहे, हासिल कर लेगा। जैसे, कहते हैं कि टिटहरी को गुमान है कि आकाश अगर गिरेगा तो वह उसे अपने पैरों पर संभाल लेगी। इसीलिए वो पैर ऊपर करके सोती है। लेकिन हम-आप जैसे रिटेल ट्रेडरों को भी अगर गुमान है कि उनकी खरीद-बिक्री से वित्तीय बाज़ार की चाल पर खास फर्क पड़ता है तो उन्हें इसे फौरन दिमाग से निकाल देना चाहिए। हां, निश्चित रूप से हम भेड़चाल में फंसकर हमेशा गलत वक्त पर गलत फैसला करते हैं।
आप भी समझते हैं कि नदी या समुद्र में दो-चार लोटा पानी डाल देने से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन बांध का पानी छोड़ देने पर नदी में उफान आ जाता है। इसी तरह रिटेल निवेशकों की 200-400 शेयरों की खरीद से बाज़ार पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे फर्क पड़ता है हर दिन करोड़ों का खेल करनेवाली देशी-विदेशी संस्थाओं और बैंकों व एचएनआई निवेशकों से। बाज़ार इनके लिए कोई शौक नहीं, बल्कि नियमित आय देनेवाला धंधा है।
रिटेल ट्रेडर अगर वित्तीय बाज़ार से कमाना चाहते हैं तो उन्हें बहती गंगा में हाथ धोने का हुनर सीखना पड़ेगा। धार, जिसकी दिशा व उफान वित्तीय संस्थाएं, बैंक व एचएनआई निवेशक तय करते हैं। उन्हें अपना सारा दिमाग खबरों पर नहीं, बल्कि इन शक्तियों की चाल को समझने पर लगाना चाहिए। चूंकि बाज़ार में सारे सौदे दर्ज होते और भावों के चार्ट पर झलकते हैं, इसलिए बड़ों की चाल को समझना मुश्किल नहीं।
बाज़ार में हर दिन 1700 से ज्यादा कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग होती है। इनमें से सैकड़ों उठते और सैकड़ों गिरते हैं, जबकि 80-90 स्थिर रहते हैं। हमें उठनेवाले शेयरों को पकड़ना है क्योंकि गिरते शेयरों में खेलने का जोखिम उठाना हमारे वश की बात नहीं। उठनेवाले शेयरों में भी हम हर तरफ मुंह नहीं मार सकते हैं। हमें अपने माफिक पड़नेवाले 15-20 शेयरों को ही चुनकर उनमें ट्रेडिंग करनी चाहिए।
मेरा भी यही मानना है सर कि कुछ बड़े खिलाड़ी बाजार की दशा और दिशा तय करते हैं। लेकिन अभी मुझे इस तरह की चीजों को पहचानना नहीं आता। बहुत अच्छा आर्टिकल लिखा है। धन्यवाद सर।