हॉलैंड की वित्तीय सेवा कंपनी एगॉन बहुत समय से पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी से गुजारिश कर रही थी कि भारत में उसके एगॉन म्यूचुअल फंड का लाइसेंस रद्द कर उसे मुक्ति दे दी जाए। सेबी ने गुरुवार को उसकी यह गुजारिश पूरी कर दी। सेबी ने उनका पंजीकरण रद्द कर दिया है और कहा है कि एगॉन भारत में म्यूचुअल फंड का धंधा अब नहीं कर सकती। हालांकि यह महज एक कागजी खानापूर्ति या औपचारिकता हीऔरऔर भी

वित्त मंत्री ने इस साल 26 फरवरी को अपने बजट भाषण में नए बैंकों को लाइसेंस देने की बात कही थी, तभी से बाजार में कयास लगाए जाने लगे थे कि किस-किस कंपनी को बैंकिंग लाइसेंस मिल सकता है। इसके बाद रिजर्व बैंक ने 20 अप्रैल को सालाना मौद्रिक नीति में कहा कि वह जुलाई के अंत तक इस बारे में दिशानिर्देश जारी कर देगा। लेकिन जुलाई के बीत जाने के दस दिन बाद रिजर्व बैंक नेऔरऔर भी

बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने प्रस्ताव रखा है कि लोगों को झांसा देकर बीमा पॉलिसी बेचनेवाले एजेंट का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। तमाम बीमा कंपनियों की बहुत-सी पॉलिसियों का नवीनीकरण न होने की बढती समस्या के कारण इरडा ने यह प्रस्ताव किया है। बीमा नियामक का प्रस्ताव है कि अगर किसी एजेंट द्वारा बेची गई 50 फीसदी पॉलिसियों का सालाना नवीकरण नहीं होता है तो उस एजेंट का लाइसेंस रद्द कर दिया जाए। इरडाऔरऔर भी