सापेक्ष बुद्ध
बुद्ध अपने जमाने तक ज्ञात हालात में सधे हुए चिंतक थे, सुधारक थे, मसीहा थे। लेकिन तब के बुद्ध अब आम हो चुके हैं। आज किसी को खास बुद्ध बनना है तो उसे उसी तरह ज्ञात व उपलब्ध हालात को साधना पड़ेगा, जैसे तब के बुद्ध से साधा था।और भीऔर भी
सपने, नेता और लोग
जब अकेला नेता सपने देखता है और लोग उसे हासिल करने में मदद करते हैं तो हिटलरशाही पैदा होने का खतरा रहता है। जब लोग सपने देखते हैं और नेता उसे हासिल करने में मदद करता है तो लोकशाही आती है।और भीऔर भी
काम और नाम
अकेले बस मरा जा सकता है, जिया नहीं जा सकता। जीना और काम तो हमेशा समूह में होता है, टीम में होता है। काम टीम करती है। श्रेय, नाम और वाहवाही नेता को मिलती है। लेकिन इसे सही तो नहीं कहा जा सकता।और भीऔर भी