देखने में सफलता कितनी भी व्यक्तिगत लगे, लेकिन मूलतः वह सामाजिक होती है। कोई विचार कितना ही अच्छा क्यों न हो, वह तब तक सफल नहीं होता जब तक उसे सामाजिक तानाबाना नहीं मिलता।और भीऔर भी

विचार यूं तो अजगर की तरह अलहदी होते हैं। उन्हें करवट बदलने में ठीकठाक वक्त लगता है। स्थितियां बदलने पर भी पुराने खांचे में बंधे रहते हैं। लेकिन बदलते हैं तो ड्रैगन की तरह हाहाकारी हो जाते हैं।और भीऔर भी

अगर हर दिन आपके भीतर कोई नया विचार नहीं कौंधता, गुत्थियों से भरे इस संसार में किसी गुत्थी को सुलझाने का हल्का-सा सिरा भी नहीं मिलता तो समझ लीजिए कि आप जीते जी मर चुके हैं।और भीऔर भी

दुनिया के हर नए-पुराने विचार पर इंसान की छाप है। जिस तरह सुदूर पहाड़ों से धारा के साथ बहता आ रहा पत्थर नीचे पहुंचकर शिव बन जाता है उसी तरह इंसानी विचार भी एक दिन ईश्वरीय बन जाते हैं।और भीऔर भी

बहुत से निवेशक अभी तक मार्क टू मार्केट के दबाव और विशेषज्ञों की सलाहों के आगे घुटने टेक चुके हैं और बाजार से बहुत कुछ बेच-बाच कर निकल गए हैं। ब्रोकर उन्हें अब भी समझा रहे हैं कि हर बढ़त उनके लिए राहत का मौका है और ऐसे हर मौके पर उन्हें बेचकर निकल लेना चाहिए। अच्छा है क्योंकि आपका इम्तिहान चल रहा है। अब, ऐसा तो नहीं हो सकता कि आप हर बार उम्मीद करें किऔरऔर भी

जब तक कोई विचार हमारे अंदर उमड़ता-घुमड़ता रहता है, तब तक हम या तो उस पर लट्टू रहते हैं या दो कौड़ी का समझते हैं। विचार की असली ताकत तो उसे सामाजिक आयाम मिलने पर ही सामने आती है।और भीऔर भी

जटिलता तभी तक है जब तक बीच में अटके हैं। समझा नहीं है। तह तक पहुंचने पर सब आसान हो जाता है। सबसे अच्छा विचार सबसे सरल होता है। ज्ञान के सागर का सारा सार प्रेम का ढाई आखर ही होता है।और भीऔर भी

जो कल सही था, आज भी सही हो, जरूरी नहीं। विचार या व्यक्ति का सही होना तय करती है प्रासंगिकता। हर वस्तु व इंसान की तरह विचार का भी जीवनकाल होता है। हर विचार को नया जन्म लेना ही पड़ता है।और भीऔर भी

भारी ऊंच-नीच और इंट्रा-डे सौदों की मार दिखाती है कि बाजार में मंदी से कमाई करनेवाले मंदड़िये आक्रामक हो गए हैं। हालांकि बाजार पर पूरा नियंत्रण अब भी तेजड़ियों का है और उनकी लय-ताल को तोड़ना कठिन ही नहीं, आत्मघाती भी है क्योंकि हकीकत यह है कि बाजार में रिटेल और एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों की एंट्री हो चुकी है। नोट करने की बात यह है कि मंदड़ियों के आक्रमण के बावजूद निफ्टी कल से नीचेऔरऔर भी

बड़ी आम-सी बात हो गई है कि जब दुनिया के बाजार बढ़ते हैं तो हमारे बाजार में करेक्शन आ जाता है। भारतीय शेयर बाजार कल काफी बढ़े। लेकिन आज जब दुनिया के बाजार बढ़त पर थे तब हम कमोबेश ठंडे पड़े रहे। यह काफी समय से हो रहा है। हो सकता है कि यह इंट्रा-डे ट्रेडरों को छकाने की चाल हो। व्यापक तौर पर माना जा रहा है कि निफ्टी का 5500 के ऊपर जाना बेहद मुश्किलऔरऔर भी