निवेश के लिए भावों का चार्ट देखना ज़रूरी नहीं। लेकिन ट्रेडिंग करनेवालों का काम इसके बिना नहीं चलता। बहुत से लोग शेयरखान में एकाउंट खुलवाते हैं ताकि उसके साथ उन्हें ट्रेड टाइगर सॉफ्टवेयर मुफ्त में मिल जाए। चार्ट पर टेक्निकल एनालिसिस के सारे संकेतक, जो बीत चुका है, जो निर्जीव है, उसे दिखाते हैं। असली चुनौती जो अदृश्य है, सौदों के पीछे जो लोग है, उन्हें देखने की है। आगे की दृष्टि के साथ करते हैं आगाज़…औरऔर भी

आदर्श स्थिति वो होती कि हर कोई जीतता, मुनाफा कमाता और कोई न हारता, कहीं कोई हैरान-परेशान ट्रेडर नहीं होता। लंबे निवेश में हर किसी के जीतने की स्थिति होती है। लेकिन ट्रेडिंग में तो कतई नहीं। इसलिए जबरदस्त होड़ से भरे इस बाज़ार में आप अपनी गाढ़ी कमाई लगाने से अच्छी तरह समझ लीजिए कि करने क्या जा रहे हैं। जान लें कि आपके सामने उल्टा ट्रेड कौन कर रहा है। अब आगाज़ करें शुक्रवार का…औरऔर भी

बाज़ार गिरता है ज्यादा बिकवाली से और बढ़ता है ज्यादा खरीदारी से। आमतौर पर बिकवाली या खरीदारी का रुख देश-विदेश की ताज़ा आर्थिक स्थिति और भावी संभावना से तय होता है। बुधवार को जब आंकड़े आए कि देश में रिटेल मुद्रास्फीति जनवरी में उम्मीद से ज्यादा घटकर दो सालों के न्यूनतम स्तर पर आ गई तो माना गया कि बाज़ार बढ़ेगा। लेकिन वो गिर गया। आज थोक मुद्रास्फीति के आंकड़े आने हैं। देखिए, कैसा रहता है बाज़ार…औरऔर भी

शेयर/कमोडिटी में रोज़ाना लाखों लोग ट्रेडिंग करते हैं। इनमें 95% घाटा खाते हैं और 5% कमाते हैं। कारण, 5% प्रोफेशनल ट्रेडर हैं जो बुद्धि से ट्रेड करते हैं और बाकी 95% आम ट्रेडर भावना से। पहले को ख्याल रहता है कि सामने से कौन ट्रेड मार रहा है। दूसरे को होश नहीं कि आखिरकार सामने है कौन। किसी की टिप या अपने मन/इंट्यूशन से वो सौदा करता है। खुदा-न-खास्ता कभी कमाया तो आगे सब स्वाहा। अब आगे…औरऔर भी

पैसा और पानी हमेशा निकलकर नीचे भागते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा फैल सकें। अमेरिका नोट छाप रहा है, पैसे की लागत/ब्याज दर दबाकर कम रखी है तो वह निकल-निकलकर बाहर भाग रहा है। अब उसने जनवरी से हर महीने 85 अरब डॉलर के बजाय 75 अरब डॉलर के ही नोट छापने का फैसला कर लिया तो अमेरिकी बाज़ार खुश हैं, बाकी मायूस। कल डाउ जोन्स ने नया शिखर बनाया तो सेंसेक्स आया नीचे। क्या होगा आज…औरऔर भी

कल एग्ज़िट-पोल आ ही रहे थे कि एक अभिन्न मित्र का फोन आया। बोले, मुझे लगता है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी को छब्बीस सीटें मिलेंगी। मैंने पूछा, कैसे? बोले, कुछ नहीं, बस मेरा अंतर्मन कह रहा है। लेकिन यह आपके अंतर्मन की नहीं, औरों का मन समझने की बात है। बोले, इन्ट्यूशन भी तो होता है। दोस्तों! शेयर बाज़ार में भी बहुतेरे लोग यही इन्ट्यूशन चलाकर बराबर मुंह की खाते हैं। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी से पुराने गठबंधन के बारे में कल एक बड़ी अच्छी बात कही। उन्होंने कहा कि हमने जुआ नहीं खेला, जोखिम लिया था। ट्रेडिंग में जुए और जोखिम का यह फर्क समझना ज़रूरी है। ज्यादातर लोग जुए की मानसिकता से ट्रेड करते हैं। यही सोच उन्हें डुबाती है। हमें पता होना चाहिए कि किस ट्रेड में कितना पाने के लिए कितना जोखिम ले रहे हैं। क्या बाज़ार आज छुएगा ऐतिहासिक शिखर…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में हमारा हर कदम हमारे व्यक्तित्व की झलक दिखाता है। सो, यह हमारी अपनी ज़िम्मेदारी है कि सौदे करने के दौरान हम खुद को मन से खुश रखें। अगर तनाव में रहे, किसी वजह से परेशान रहे तो उसका सीधा असर हमारे फैसलों पर पड़ेगा जिससे हमारी ट्रेडिंग प्रभावित हो सकती है। यहां तो मामला वही है कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। इसलिए मस्त रहे, तभी कमा सकते हैं। अब रुख शुक्र के बाज़ार का…औरऔर भी

ट्रेडिंग के न जाने कितने इंडीकेटर, कितनी विधियां। टेक्निकल एनालिसिस से लेकर फिबोनाकी और इलियट वेव तक। यहां से 62% ऊपर, वहां से 38% नीचे। सीखने जाओ तो माथा घूम जाए। सभी अपने तरीके को सर्वश्रेष्ठ बताते हैं। लेकिन वे अंदर से क्या मानते हैं इसका पता चलेगा इससे कि वे यह सब करते हुए कमाते कितना हैं जिसे वे छिपा जाते हैं। सिस्टम वही ठीक जो कराए कमाई, बाकी बकवास। अब रुख गुरु के बाज़ार का…औरऔर भी

अगर आप ट्रेडिंग में एकदम नए हैं तो बेहतर यही होगा कि आप सुबह बाज़ार खुलने पर उससे दूर रहें। जब तक आप औरों के ऊपर हावी न हो सकें, तब तक अपने धन को जोखिम में डालने का क्या फायदा? लेकिन अगर आपने उस्तादों की नज़र हासिल कर ली है तो सुबह-सुबह सौदे पकड़ना बेहद लाभकारी है क्योंकि उस वक्त अनजान-अनाड़ी मछलियां ही तैरने आती हैं जिनका शिकार आसान है। अब टटोलते हैं बाज़ार की नब्ज़…औरऔर भी