टेक्निकल एनालिसिस या चार्टिंग का मूल मकसद है किसी खास समय तक खरीदने और बेचने वालों के बीच का संतुलन देखकर बाज़ार पर हावी भावना को समझना। लेकिन यह थोड़े वक्त, बहुत हुआ तो महीने या दो महीने के लिए फिट बैठता है। लंबे समय में कंपनी व अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स ही शेयरों के भाव तय करते हैं। इसलिए साल दो साल के निवेश पर टेक्निकल का फंदा नही कसना चाहिए। अब देखते हैं गुरु का बाज़ार…औरऔर भी

कामयाब ट्रेडर कंपनी या अर्थव्यवस्था के मूलभूत पहलुओ पर ट्रेड नहीं करता। लेकिन वो इनसे वाकिफ ज़रूर रहता है। यह जानना ज़रूरी है कि अर्थव्यवस्था की समग्र तस्वीर क्या है और कंपनी की क्या स्थिति है, भले ही हम उसके आधार पर रोज़-ब-रोज़ के ट्रेड न करें। भावों की चाल और सौदों का वोल्यूम देखकर हम चार्ट पर लोगों की भावनाओं को पकड़ते हैं। याद रखें। लोग झूठ बोल सकते हैं, चार्ट नहीं। अब ट्रेडिंग बुधवार की…औरऔर भी

चार दिन पहले पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने चार फर्मों – राइट ट्रेड, बुल ट्रेडर, लक्ष्मी ट्रेडर्स और साई ट्रेडर पर बैन लगा दिया। इन फर्मों को सूरत से चलाया जा रहा था और इनके पीछे दो लोग थे – इम्तियाज़ हनीफ खांडा और वाली ममद हबीब घानीवाला। घानीवाला इम्तियाज़ का मामा है। ये लोग अपनी वेबसाइट ‘राइट ट्रेड डॉट इन’ के जरिए और मोबाइल पर एसएमएस भेजकर लोगों को शेयर और कमोडिटी बाज़ार से हरऔरऔर भी

सिद्धांत कहता है और सही कहता है कि किसी भी कंपनी के शेयर का मूल्य मूलतः दो चीजों से तय होता है। एक, भविष्य में उसके धंधे से होने वाला डिस्काउंटेड कैश फ्लो (शुद्ध लाभ) कितना रहेगा और दो, जोखिम-रहित आस्ति (सरकारी बांड) पर मिलने वाले रिटर्न की बनिस्बत शेयरधारक क्या रिस्क ले रहा है। स्टॉक का मूल्य या अंतर्निहित मूल्य खासतौर पर इन्हीं दो चीजों से तय होता है। लेकिन बाज़ार में उस स्टॉक का भावऔरऔर भी