नए वित्त वर्ष 2012-13 में केंद्र सरकार के 17 बड़े उपक्रम 1.40 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। देश में पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों की संख्या मात्र पांच थी। अब तक बढ़कर यह 250 हो गई है। इनमें से इंडियन ऑयल का टर्नओवर देश में सबसे ज्यादा, ओएनजीसी का मुनाफा सबसे ज्यादा, एनटीपीसी सबसे बड़ी सार्वजनिक सेवा कंपनी और कोल इंडिया सबसे ज्यादा बाज़ार पूंजीकरण वाली कंपनी है। इनमें से कुछ कंपनियां दुनियाऔरऔर भी

केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की उन सभी कंपनियों को विदेश में कच्चे माल के स्रोत खरीदने की इजाजत दे दी है, जिन्होंने कम से कम पिछले तीन सालो में मुनाफा कमाया हो। अभी तक सरकारी कंपनियां विदेश से कच्चा माल तो खरीद सकती थीं, लेकिन कच्चा माल बनानेवाली कंपनियों को नहीं खरीद सकती थीं, जबकि निजी क्षेत्र की कंपनियों पर ऐसी कोई बंदिश नहीं है। गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कीऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में शेयर हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को चुस्त दुरूस्त बनाने व तेज करने के लिए सरकार ने एक नियमावली (हैंडबुक) पेश की है। यह हैंडबुक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उप्रकमों (सीपीएसई) और इससे जुड़े विभागों के लिए विनिवेश संबंधी नियमावली है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में इस ‘पब्लिक इश्यू के जरिए विनिवेश पर नियमावली’ शीर्षक की हैंडबुक को जारी किया। उन्होंने कहा कि यह हैंडबुक सीपीएसई, प्रशासित मंत्रालयों औरऔरऔर भी

केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) में कर्मचारियों की संख्या 2009-10 में 43,000 घट गई हालांकि इसी वित्त वर्ष में इन उप्रकमों का शुद्ध मुनाफा कुल मिलाकर दस फीसदी से अधिक बढा। सार्वजनिक उप्रकम सर्वे 2009-10 में यह जानकारी दी गई है। सर्वे के अनुसार इन उप्रकमों (सीपीएसई) में कर्मचारियों की संख्या 2009-10 में घटकर 14.91 लाख रह गई जो 2008-09 में 15. 34 लाख थी। इस तरह से यह 2.80 फीसदी की गिरावट दिखाती है। इसऔरऔर भी