एक एनजीओ ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और अटॉर्नी जनरल जी.ई. वाहनवती के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) नाम की इस संस्था ने सिब्बल पर आरोप लगाया है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में उन्होंने अनिल अंबानी की अगुवाई वाली आरकॉम पर लगने वाले जुर्माने की रकम को 650 करोड़ से घटाकर 5 करोड़ कर दिया। सीपीआईएल का यह भी आरोपऔरऔर भी

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने भले ही 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रूपए के नुकसान संबंधी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के आकलन को गलत बताया हो लेकिन इसे न तो सुप्रीम कोर्ट और न ही कैग ने कोई तवज्जो दी है। कैग का कहना है कि वह संसद को सौंपी अपनी रिपोर्ट पर कायम है, जबकि सुप्रीम ने सिब्बल के बयान पर यह कहते हुए संज्ञान नहीं लेने से इनकार कर दिया कि यहऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिए है कि वे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में 2001 से लेकर 2008 तक की अवधि की पूरी जांच करें। इस निर्देश के साथ ही एनडीए और यूपीए दोनों के शासनकाल की दूरसंचार नीतियां अब जांच के दायरे में आ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की पीठ ने स्पष्ट किया कि जांच में सरकारी खजाने को हुए नुकसानऔरऔर भी