सारे साधन-संसाधन मौजूद हैं। श्रम का साथ मिल जाता है तो वे बदलकर मूल्यवान बन जाते हैं। खेत में एक बीज डालें, सौ बीज निकलते हैं। वो बीज जो पहले धरती पर नहीं थे। इसी तरह कंपनियां वो दौलत पैदा करती हैं जो पहले इस दुनिया में थी ही नहीं। पूंजी और श्रम के मेल से पैदा होती है यह दौलत। पूंजी भी श्रम का ही संघनित रूप है। मारुति सुजुकी को श्रमिकों की तीन चरणों मेंऔरऔर भी

जिसके पास पैसा है, उसके पास पूंजी हो, जरूरी नहीं। जिसके पास पूंजी है, वह अमीर हो, जरूरी नहीं। पैसा उद्यम में लगता है तो पूंजी बनता है। दृष्टि सुसंगत बन जाए, तभी पूंजी किसी को अमीर बनाती है।और भीऔर भी

जिस तरह रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश के सबसे बैंक एसबीआई को डाउनग्रेड किया है, उससे उसकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान लग गया है। मूडीज ने कहा है कि एसबीआई का एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियां) या डूबत ऋण 12 फीसदी हो सकता है, लेकिन रिजर्व बैंक के नियमों के तरह भारत में किसी बैंक का एनपीए कभी भी इतना हो नहीं सकता। इस समय जून 2011 की तिमाही के नतीजों के मुताबिक एसबीआई का एनपीए कुल ऋणों काऔरऔर भी

यह थोड़े सच और ज्यादा झूठ का जमाना है। हर कोई लूट-खसोट के जरिए पूंजी बटोरने में जुटा है। मौका मिलते ही शिकार पर हाथ साफ। इसलिए सावधान! ठग और जेबकतरे किसी भी भेष में आ सकते हैं।और भीऔर भी

जी, हां। देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम) का सच यही है। उसकी चुकता पूंजी महज 5 करोड़ रुपए है। लेकिन उसकी संपत्ति के एक अंश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुंबई के सबसे पॉश इलाकों फोर्ट (कोलाबा) और चर्चगेट में हर दूसरी-तीसरी बिल्डिंग उसी की नजर आती है। पूरे देश में एलआईसी के पास जबरदस्त प्रॉपर्टी है। वह इस समय करीब 10 लाख करोड़ रुपए कीऔरऔर भी