यहां ललचाई नजरें खाती हैं धोखा
सारे साधन-संसाधन मौजूद हैं। श्रम का साथ मिल जाता है तो वे बदलकर मूल्यवान बन जाते हैं। खेत में एक बीज डालें, सौ बीज निकलते हैं। वो बीज जो पहले धरती पर नहीं थे। इसी तरह कंपनियां वो दौलत पैदा करती हैं जो पहले इस दुनिया में थी ही नहीं। पूंजी और श्रम के मेल से पैदा होती है यह दौलत। पूंजी भी श्रम का ही संघनित रूप है। मारुति सुजुकी को श्रमिकों की तीन चरणों मेंऔरऔर भी