यूं तो इधर सभी ब्रिक देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन) की आर्थिक दशा खराब चल रही है। लेकिन इनमें सबसे खराब हालत भारत की है। इसका पता दयनीयता या मिज़री सूचकांक से चलता है। यह सूचकांक किसी देश में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी की दर को जोड़कर निकाला जाता है। भारत का दयनीयता सूचकांक अभी 17.8% (बेरोजगारी दर 8.5% + मुद्रास्फीति 9.3%) है, जबकि ब्राज़ील में यह सूचकांक 10.9% (5.5% + 5.4%), रूस में 10.8% (5.7% + 5.1%)औरऔर भी

उम्मीद है कि रुपया पिछले कुछ महीनों से चल रही गिरावट का सिलसिला तोड़कर अब स्थिर हो जाएगा। अगर ऐसा नहीं होता तो उसमें आई तेज हलचल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने को तैयार है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने गुरुवार को सिंगापुर में आयोजित एक समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा, “हम किसी भी तेज एकतरफा हलचल को रोकने के लिए मजबूत कदम उठाएंगे।” उन्होंनेऔरऔर भी

उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच झूल रहा है बाजार। मंदडिए जाहिरा तौर पर हावी हैं। लेकिन वे जब हर तरफ अपना डंका बजा रहे हैं, तब बाजार चुपचाप उनके हमले से तहस-नहस हालात को संभालने में जुट गया है। मेरे बहुत से दोस्त निफ्टी में 4000 पर पुट ऑप्शन या बेचने के सौदे करके बैठ गए हैं। लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि वे ऐसा करके बुरे फंस गए हैं। बाजार ने सुधरने का एक पैटर्न-साऔरऔर भी

भारत में साल 2015 तक खेल के धंधे से हर साल दो अरब डॉलर का राजस्व पाया जा सकता है।  इसमें टेलिविजन मीडिया और प्रायोजन से होने वाली आय की खास भूमिका होगी। यह निष्कर्ष है दुनिया की जानीमानी सलाहकार और एकाउंटिग फर्म प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) का। पीडब्ल्यूसी के ताजा अध्ययन के मुताबिक आनेवाले सालों में देश में टीवी विज्ञापन और प्रायोजन आय में काफी इजाफा होगा जिससे भारत ब्रिक देशों (रूस, चीन, भारत और ब्राजील)औरऔर भी

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) में भारत का कोटा बढ़ गया है। कोटे में वृद्धि का फैसला इस बाबत आईएमएफ की 14वीं आम समीक्षा में किया गया था। इसे मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैंठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी। 14वीं आम समीक्षा के फैसलों के प्रभावी होने के बाद आईएमएफ के सदस्‍य देशों के बीच मौजूदा वैश्विक हकीकत का बेहतर प्रतिबिंब दिखेगी करेगा। सभी ब्रिक देश (ब्राजील, रूस, भारत व चीन) अबऔरऔर भी

ब्रिक देश (ब्राजील, रूस, भारत, चीन) अब उभरते बाजार नहीं रह गए हैं बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था के लिये ‘वृद्धि बाजार’ बन गए हैं। अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन शैक्स के चेयरमैन (संपत्ति प्रबंधन) जिम ओ नील ने बीजिंग में यह बात कही है। दस साल पहले जिम ओ नील ने ही इन देशों के लिए उभरता बाजार शब्द का उपयोग किया था। ब्रिक्स शिखर बैठक से पूर्व ओ नील ने चाइना डेली को दिए गए साक्षात्कार में कहा,औरऔर भी

भारत, चीन, ब्राजील और रूस के आर्थिक विकास की संभावनाएं अगले साल तक और भी बेहतर हो जाएंगी। यह आकलन है दुनिया के जानेमाने संगठन ओईसीडी (ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनोमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) का। ओईसीडी ने बुधवार को जारी अपने ताजा अनुमान में कहा है कि भारत में कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है। इससे भारत के आर्थिक विकास को आवेग मिलेगा। हालांकि बढ़ती मांग के बीच मुद्रास्फीति का दबाव बना रह सकता है। बता दें किऔरऔर भी

हाल ही में डेरिवेटिव सौदों में फ्रॉड करने के आरोप में अमेरिकी पूंजी बाजार नियामक संस्था, एसईसी की जांच के दायरे में आए निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स का नाम तो आपने सुना ही होगा। लेकिन शायद आपको नहीं पता कि दुनिया के चार सबसे तेजी से बढ़ते देशों – ब्राजील, रूस, भारत (इंडिया) और चीन को एक साथ मिलाकर ‘ब्रिक’ का नाम गोल्डमैन सैक्स ने ही 2001 में ईजाद किया था। साल 2000 से 2008 के दौरानऔरऔर भी