अगर कोई कंपनी ऐसी दिखे जिसके फंडामेंटल मजबूत हैं, प्रबंधन शानदार है, ट्रैक रिकॉर्ड जानदार है, भावी विकास की भरपूर संभावना नज़र आ रही है और शेयर का भाव अभी सुरक्षा का पर्याप्त मार्जिन दे रहा है तो बाज़ार की उठापटक या भीड़ की सोच की परवाह किए बिना हमें उसमें तीन से पांच साल के लिए निवेश कर देना चाहिए। दौलत बनाने का बाकी कमाल चक्रवृद्धि का जादू कर देगा। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

जब तक हम शेयरों के भाव के पीछे भागेंगे, तब तक बाज़ार को नहीं पकड़ सकते। वहीं, अगर हम कंपनी के कामकाज व संभावना के आकलन के आधार पर उसके शेयर का अंतर्निहित मूल्य निकालें और उससे भाव की तुलना करें तो बाज़ार को अपनी मुठ्ठी में कर सकते हैं। इसलिए बाज़ार कहां जाएगा, इसका कयास लगाने के बजाय हमें शेयरों के अंतर्निहित मूल्य के आधार पर लंबा निवेश करना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अगस्त अंत से चालू अक्टूबर महीने के पहले हफ्ते तक बीएसई में लिस्टेड 2733 कंपनियों में से 688 कंपनियों के शेयर 52 हफ्ते के शीर्ष से 61% से ज्यादा, 495 के शेयर 51-60%, 485 के 41-50%, 440 के 31-40%, 342 के 21-30% और 171 के शेयर 11-20% गिर चुके हैं। इनमें से कुछ को खराब आर्थिक स्थिति तो बहुतों को बाज़ार के मौजूदा सेटिमेंट ने मारा है। आज तथास्तु में इनमें से निवेश के दो अच्छे अवसर…औरऔर भी

महीने भर से गिर रहा शेयर बाज़ार कितना और गिरेगा, कहा नहीं जा सकता। सोमवार, 3 सितंबर से शुक्रवार, 5 अक्टूबर तक बीएसई सेंसेक्स 10.27%, मिडकैप सूचकांक 16.67% और स्मॉलकैप सूचकांक 19.37% गिर चुका है। आशा अब निराशा में बदलने लगी है। ठीक महीने भर बाद दिवाली है। डर है कि इस बार की दिवाली कहीं काली न पड़ जाए। लेकिन संभलकर चुना जाए तो शुभ लाभ के बहुतेरे अवसर हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

लगातार गिरता रुपया, कच्चे तेल व पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दाम, विदेशी निवेशकों का निकलते जाना। इन प्रतिकूल स्थितियों से घबराया शेयर बाज़ार क्या जल्दी संभल पाएगा? सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को ऋण देनेवाली आईएल एंड एफएस जैसी बड़ी कंपनी का संकट क्या गुल खिला सकता है? स्मॉंल और मिडकैप कंपनियों के शेयरों का गिरना कब रुकेगा? इस धुंध भरे महौल में अच्छी कंपनियां भी पीटी जा रही है। तथास्तु में आज इन्हीं में से एक दमदार कंपनी…औरऔर भी

दुनिया के सफलतम निवेशक वॉरेन बफेट का यह कहना शेयर बाज़ार का नीति-वाक्य बन चुका है कि जब सभी डर कर बेच रहे हों, तब लालची बन खरीद लेना चाहिए और सभी लालच में फंसे हों, तब बेचकर निकल लेना चाहिए। ऐसा सटीक मौका कभी-कभार ही मिलता है। लेकिन अपने यहां बीते हफ्ते घबराहट में चली बिकवाली ने लालची बनने के कुछ ऐसे ही मौके पेश कर दिए हैं। आज तथास्तु में उन्हीं में से एक मौका…औरऔर भी

इधर बैंकों के एनपीए से लेकर कमज़ोर रुपए, महंगे तेल व आर्थिक फ्रॉड जैसे मुद्दों ने राजनीति को जकड़ लिया है। विकास का नारा धार खो चुका है तो भाजपा हिंदू धर्म और राष्ट्र के नाम पर ध्रुवीकरण करना चाहेगी। लेकिन सतह पर मची इस उथल-पुथल के नीचे अच्छी कंपनियों की अंतर्धारा अनवरत बह रही है। सवाल इतना-सा है कि उनके शेयर निवेश करने लायक स्तर तक गिरे हैं कि नहीं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

कच्चे तेल के बढ़ते दाम और कमज़ोर होते रुपए ने देश पर दोहरी मार लगाई है। पांच साल बाद भारत फिर से ब्राज़ील, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका व तुर्की के साथ दुनिया की पांच भंगुर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाने लगा है। यह चिंता की बात है। लेकिन भारतीय विकास गाथा इतनी लंबी है कि ज्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। आज तथास्तु में ऐसी कंपनी, जिसमें कम से कम दस साल का निवेश बहुत फलदायी साबित होगा…औरऔर भी

अच्छी बात है कि जून 2018 की तिमाही में हमारा जीडीपी 8.2% बढ़ गया है। यह पिछली नौ तिमाहियों की सबसे तेज़ विकास दर है। मगर चिंता की बात है कि यह तेज़ी सरकारी खर्च बढ़ने से आई है और सकल स्थाई पूंजी निर्माण या अर्थव्यवस्था में निवेश की दर 28.8% पर अटकी है, जबकि यूपीए सरकार के आखिरी व सबसे खराब साल 2013-14 तक में यह दर 31.3% रही थी। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

कंपनी का मुनाफा बढ़ रहा हो और उसका शेयर गिरा हुआ हो तो उसे खरीद लेना चाहिए। अगर मुनाफा बढ़ता रहे, फंडामेंटल्स मजबूत रहें और शेयर चढ़ रहा हो तो उसमें बने रहना चाहिए। वहीं, कंपनी का लाभ घटने लगे और शेयर गिरने लगे तो फौरन बेचकर निकल लेना चाहिए। अगर लाभ घटने के बावजूद कंपनी का शेयर बढ़ रहा हो, तब भी उससे निकल लेने में ही समझदारी है। आज तथास्तु में दो कंपनियों का जिक्र…औरऔर भी