निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था का हाल पूरी तरह इस पर निर्भर है कि हम कोरोना की जकड़ से निकलकर सामान्य स्थिति में कब आते हैं। हालात सामान्य हो गए तब भी मजदूरों के फैक्ट्रियों में वापस लौटने से लेकर देश की 138 करोड़ आबादी तक वैक्सीन पहुंचाने जैसे काम आसान नहीं। इधर दुनिया का हर देश अपनी अर्थव्यवस्था बचाने में लगा है तो ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नारा हमारी मजबूरी है। इस मजबूरी के बीच एक मजबूत कंपनी…औरऔर भी

भारत ने कोरोना के नए मामलों में दुनिया के तमाम देशों को पीछे छोड़ दिया है। पिछले 24 घंटे में यहां 63,489 नए मामले आए हैं। हालांकि अमेरिका समेत अन्य बड़े देशों में कोरोना का कहर फिलहाल उतार पर है। वैसे भी कोरोना रहे या जाए, कुछ ऐसे बिजनेस और कंपनियां हैं जो आर्थिक जीवन के लिए अपरिहार्य हैं। कंपनी सरकारी हो या निजी, इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो खेत बेचारा क्या करे! इस समय जनता के टैक्स और बड़ी मेहनत व महत्वाकांक्षा से बनाई गई सरकारी कंपनियों का यही हाल हो गया है। मोदी सरकार ने ओएनजीसी जैसी मजबूत कंपनियों को खोखला बना दिया, बीपीसीएल जैसी कंपनियां बेच रही है, जबकि स्टील अथॉरिटी जैसी बहुतेरी कंपनियों का हाल बेहाल कर दिया। फिर भी कुछ सरकारी कंपनियों अब भी मजबूत हैं। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

आनेवाले हफ्ते और महीने भारतीय शेयर बाज़ार के लिए बड़े उथल-पुथल भरे हो सकते हैं। प्रधानमंत्री दावा करते रहें कि सही समय पर सही फैसले लेने से हम कोरोना के मामले में संभले हुए हैं। लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों से भारत दुनिया में अमेरिका व ब्राज़ील के बाद तीसरे नंबर पर है तो इसे संभलना कैसे कह सकते हैं! कहीं बाज़ार को कोरोना का दूसरा ज़ोरदार झटका लग गया तो! अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अमूमन छोटी कंपनियों के शेयर उछलते और बड़ी कंपनियों के शेयर मध्यम चाल से चलते हैं। दिसंबर 2017 में निफ्टी स्मॉलकैप-50 सूचकांक 57 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था तो निफ्टी-50 सूचकांक 26 पर। लेकिन इधर यह रीत उलट गई। महीने भर पहले निफ्टी-50 सूचकांक 26.32 के पी/ई पर था तो स्मॉलकैप-50 कहीं नीचे 17.83 पर। शुक्रवार को ये सूचकांक क्रमशः 29.35 और 20.22 के पी/ई पर ट्रेड हुए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

कहते हैं, शेयर बाज़ार को कोई पकड़ नहीं सकता। पर उसका स्वभाव तो वहां सक्रिय इंसानों की हरकत से ही बनता है। इंसान लालच व डर की भावना और इनसे जुड़े एड्रेनलीन और कोर्टिज़ोल हॉर्मोन का वशीभूत होकर बाज़ार में उतरता है। तुरत-फुरत में ये भावनाएं और हॉर्मोन इंसान का माथा घुमा देते हैं। लेकिन लंबे समय में उसका दिमाग ठिकाने आ जाता है। शेयर बाज़ार का भी यही बर्ताव है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

लालच व डर की भावनाएं ही शेयर बाज़ार को चलाती हैं। मार्च में कोरोना का प्रकोप बढ़ा। देश में लॉकडाउन का सिलसिला शुरू हुआ। बाज़ार इतना गिरा कि बढ़ने का लालच बढ़ गया। इसमें फंसकर लॉकडाउन के दौरान 12 लाख से ज्यादा नए निवेशकों ने डिमैट खाते खुलवा डाले। फिर, डर बढ़ने लगा तो जून में इक्विटी म्यूचुअल फंडों में आया शुद्ध निवेश मई की अपेक्षा 95% से ज्यादा घट गया। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयरों की एक लागत निवेशक धन से अदा करता है। दूसरी लागत भावनाओं से चुकाता है। बाज़ार टूटता है तो उसका कलेजा निकल जाता है। खासकर तब, बड़ी समझ व उम्मीद से खरीदे शेयर अचानक दो कौड़ी के हो जाते हैं, पेन्नी स्टॉक्स। मूलधन भी नहीं निकलता। जो बढ़ते हैं, उन्हें लंबा निवेश मानकर वह बस देखता है, बेचता नहीं। इसीलिए कहते हैं पहले कंपनी को परखो, तब शेयर को देखो। अब तथास्तु में आज की कंपनी….औरऔर भी

कोरोना ने 24 मार्च को शेयर बाज़ार को जिस कदर धूल चटाई थी, बाज़ार वहां से सारी धूल झाड़कर उठ खड़ा हुआ है। तब के न्यूनतम स्तर से निफ्टी-50 मात्र तीन महीने में 38.24% और निफ्टी-500 सूचकांक 39.13% बढ़ चुका है। इन 500 कंपनियों में से कुछ कंपनियों के शेयरों के भाव तो इस दौरान दोगुने हो गए हैं। कोरोना का संकट गया नहीं है, फिर भी बाज़ार में यह उन्माद! आज तथास्तु में एक नई कंपनी…औरऔर भी

अगर आप गांवों या कस्बों से ताल्लुक रखते हैं तो यह लोकोक्ति शायद सुनी होगी कि गंजेड़ी यार किसके, दम लगाके खिसके। निफ्टी या सेसेंक्स में शामिल कंपनियों की बात अलग है। लेकिन छोटी व मध्यम कंपनियों में निवेश के प्रति हमें यही रवैया अपनाना चाहिए। जैसे ही रिटर्न का लक्ष्य पूरा हुआ, बेचकर निकल गए। अन्यथा, अनिश्चितता के दौर में कब गोता लगा जाए, पता नहीं। आज तथास्तु में भावों के भंवर में फंसी एक कंपनी…औरऔर भी