दशकों से अपने यहां शेयर बाज़ार के निवेशकों की संख्या बढ़ाने का अभियान चालू है। लेकिन ढाक के वही तीन पात। हां, ब्रोकरों की कमाई ज़रूर बढ़े जा रही है। वे हर डीमैट खाता खुलवानेवाले से एनुअल मेंटेनेन्स चार्ज लेते हैं। नए खातों के लिए 50,000 से लेकर दो लाख रुपए तक की होल्डिंग पर 100 रुपए। ज्यादा हो तो 300 रुपए। खाता सक्रिय न हो, तब भी। 18% जीएसटी अलग। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

कहावत है कि गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की तरह भागता है। अपने यहां लोगों की नौकरी छूटती है तो वे शेयर बाज़ार की तरफ भागते हैं। खुद नहीं तो बीवी से चाहते हैं कि वह ट्रेडिंग/निवेश से कुछ कमाकर लाए। भूल जाते हैं कि शेयर बाज़ार आम लोगों के लिए कमाने का नहीं, बल्कि जो पहले से कमा रखा है, उसे बचाने या बढ़ाने का जरिया है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

दुविधा का दौर है। निफ्टी, सेंसेक्स कभी उछल जाते हैं तो कभी निपट जाते हैं। कुछ स्टॉक्स बढ़े चले जा रहे हैं तो कुछ उठने का नाम नहीं ले रहे। ऐसे में समझदारी से किया गया निवेश भी गलत साबित हो सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि जब तक शेयर बाज़ार सामान्य अवस्था में नहीं लौट आता, तब तक हम जितना धन निवेश करना है, उसका आधा ही लगाएं। बाकी कैश बचाकर रखें। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी

रिजर्व बैंक को जीडीपी के 9.5% घटने का अंदेशा है। लेकिन मोदी सरकार बेधड़क कहती है कि उसने अर्थव्यवस्था व अवाम के कल्याण के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। हर महीने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन। 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज। वह टीसीएस और एचडीएफसी के अच्छे नतीजों को भी अपनी उपलब्धि बताती है। देश अगर वाकई शिक्षित होता तो सरकार इतनी हवाबाज़ी नहीं कर पाती। आज तथास्तु में शिक्षा व्यवसाय से जुड़ी एक कंपनी…औरऔर भी

देश की अर्थव्यवस्था कब वापस पटरी पर आएगी, नहीं बताया जा सकता। लेकिन कुछ सकारात्मक संकेत मिलने लगे हैं। वाहनों की बिक्री, एयर ट्रैफिक, टोल संग्रह और रेलवे से माल लोडिंग बढ़ने लगी है। मानसून औसत से बेहतर रहा है तो खरीफ की फसल अच्छी रहेगी। वैसे भी कोरोना संकट में हमारी अर्थव्य़वस्था बढ़ने के बजाय जब 23.9% सिकुड़ गई, तब कृषि की विकास दर 3.4% रही है। आज तथास्तु में कृषि बिजनेस से जुड़ी एक कंपनी…औरऔर भी

समूचे शेयर बाज़ार या किसी खास शेयर की भावी चाल के बारे में कुछ भी कहना खतरे से खाली नहीं। न्यूटन जैसे वैज्ञानिक, शोल्स जैसे नोबेल विजेता अर्थशास्त्री और बेहद विकसित कंप्यूटर अल्गोरिदम भी यह अनुमान लगाने में मात खा चुके हैं। इसलिए मानकर चलें कि कोई भी अनुमान गलत साबित हो सकता है। यह शेयर बाज़ार में निवेश का अंतर्निहित रिस्क है जिसे भलीभांति समझकर ही इसमें धन लगाना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता। एशियाई विकास बैंक कहता है भारत की आर्थिक विकास दर इस साल -9% रहेगी। जून में उसका अनुमान -4% का था। कोरोना के बढ़ते प्रकोप से लगता है कि भारत एकाध महीने में दुनिया में अमेरिका को पीछे छोड़ टॉप पर होगा। कोरोना काल में लाखों काम-धंधे बंद, 2.1 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं। उन्हें दोबारा काम मिलने के संकेत नहीं। फिर भी शेयर बाज़ार तेज़! अब तथास्तु में आज की कंपंनी…औरऔर भी

युद्ध की विभीषिका हो या महामारी की मार, इंसान की अदम्य जिजीविसा हर हाल में उद्यमशीलता के मौके तलाश ही लेती है। मसलन, भारत पर कोरोना के कसते शिकंज़े और लॉकडाउन के बीच व्यक्ति-व्यक्ति के भौतिक फासले बढ़ गए हैं। ऐसे में अपडेट रहने के लिए डेटा की मांग बढ़ गई है। डिजिटल पेमेंट का भी चलन बढ़ गया है। कुछ और भी उद्योगों को नया आवेग मिला है। तथास्तु में ऐसे ही एक उद्योग की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में धोखे व फ्रॉड का खेल चलता रहता है। इसका गुब्बारा फुलाने के पीछे किसी न किसी ताकतवर खिलाड़ी/संस्था का हाथ रहता है। ऐसे कई किस्से वॉल स्ट्रीट से लेकर दलाल स्ट्रीट तक बिखरे पड़े हैं। इसलिए हमारे लिए सबसे अच्छी रणनीति यह है कि बाज़ार के उन्माद का शिकार होने के बजाय शांत भाव से अच्छा धंधा कर रही संभावनामय कंपनियों में 5-10 साल के लिए निवेश करे। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

देश के राजनीतिक व सामाजिक ही नहीं, वित्तीय जीवन में भी ठगों की भरमार है। बताइए, कोई जानी-मानी इक्विटी रिसर्च फर्म प्रतिमाह एक कंपनी बताने के 6000 रुपए सालाना लेने के बावजूद ऐसी कंपनी सुझाए जिसका शेयर अभी 193 रुपए पर हो और तीन साल में 200 रुपए तक पहुंचने का लक्ष्य रखे तो आप क्या कहेंगे! फर्म कहती है कि इसमें निवेश 130 रुपए तक गिरने पर करें। क्या मतलब है इसका? अब आज का तथास्तु…औरऔर भी