सरकारी खर्च, भ्रष्टाचार व चढ़ता बाज़ार
शेयर बाज़ार बड़ा समदर्शी होता है। उसे धन के प्रवाह से मतलब है। वो धन काला है या सफेद, उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे इससे भी फर्क नहीं पड़ता कि कुछ लोगों के पास इफरात धन आ रहा है, जबकि ज्यादातर लोग बदहाल होते जा रहे हैं। इधर सरकार जहां कहीं भी गुंजाइश है, वहां से जमकर टैक्स वसूल रही है। साथ ही देश के नाम पर ऋण लेने में कोई कोताही नहीं बरत रही।औरऔर भी
