बीमा कारोबार को निजी क्षेत्र के लिए खोले हुए दस साल से ज्यादा हो चुके हैं। लेकिन साधारण बीमा ही नहीं, जीवन बीमा तक में अभी तक सरकारी कंपनियों का दबदबा है। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल से दिसंबर तक के नौ महीनों में जहां साधारण बीमा में मिले प्रीमियम का 58.3 फीसदी सरकारी कंपनियों की झोली में गया है, वहीं जीवन बीमाऔरऔर भी

अभी पिछले ही हफ्ते शनिवार, 11 फरवरी को बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने जीवन बीमा कंपनियों के एजेंटों के बारे में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं और आज, 15 फरवरी को इन्हीं दिशार्निदेशों का संबंधित हिस्सा साधारण या गैर-जीवन बीमा एजेंटों पर भी लागू कर दिया। नए दिशानिर्देश 1 जुलाई 1011 से लागू होंगे। इनके अनुसार साधारण या जीवन बीमा कंपनी के कर्मचारी का कोई भी नाते-रिश्तेदार उस कंपनी का बीमा एजेंट नहीं बन सकता। नाते-रिश्तेदारऔरऔर भी

पहले कहां कौन बीमा कराता था? ऐसा नहीं कि तब अनिश्चितता का भय नहीं था, अनहोनी की आशंका नहीं थी। लेकिन लोग भगवान के आगे माथा नवाकर निश्चिंत हो जाते थे। भगवान तू ही सबका रखवाला है, रक्षा करना- इतना भर कह देने से लगता था कि आपको किसी भी आकस्मिक आफत से निपटने का सहारा मिल गया। फिर, अपने यहां एक-दो नहीं, 33 कोटि देवता हैं। गांव से बाहर निकलिए तो ग्राम देवता को प्रणाम करऔरऔर भी