अण्णा हज़ारे के नौ दिनों के अनशन ने कांग्रेस ही नहीं, सभी राजनीतिक पार्टियों की नींद हराम कर दी है। उन्होंने बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक में अण्णा से अनशन खत्म करने की अपील तो की है। लेकिन उन्हें न तो टीम अण्णा की शर्तें मंजूर हैं और न ही जन लोकपाल बिल। यही वजह है कि राजधानी दिल्ली में सात रेस कोर्स स्थित प्रधानमंत्री आवास पर हुई सभी दलों की बैठक बेनतीजा साबित हुई। असल मेंऔरऔर भी

अभी कुछ दिन पहले तक जो सरकार बढ़ती महंगाई के बीच राजनीतिक बवाल के डर से डीजल के मूल्यों को छेड़ने से डर रही थी, उसे विपक्ष ने ऐसा मौका दे दिया है कि वह बड़े उत्साह से इस पर मूल्य नियंत्रण उठाने की तैयारी में जुट गई है। इसका सबसे पहला वार उन लोगों पर होगा जो डीजल से चलनेवाली कारें इस्तेमाल करते हैं। लोकसभा में महंगाई पर चल रही बहस का जवाब देते हुए वित्तऔरऔर भी

लोकसभा में मुद्रास्फीति या महंगाई पर बहस जारी है। उम्मीद है कि गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित कर मुद्रास्फीति पर चिंता जताई जाएगी और सरकार से कहा जाएगा कि वह कीमतों पर काबू पाने के लिए कुछ और कदम उठाए। लेकिन बुधवार को सांसदों ने महंगाई के मसले पर जिस तरह शब्दों की तीरंदाजी दिखाई है, उसने साबित कर दिया है कि हमारे सांसद आर्थिक मामलों में कितने ज्यादा निरक्षर हैं। वह भी महंगाई जैसे मसले परऔरऔर भी