राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना के तहत जारी स्मार्ट कार्डों की संख्या 31 दिसंबर 2011 तक 2.57 करोड़ पर पहुंच चुकी है। इससे 29.25 लाख से ज्‍यादा लोग अस्‍पताल में भर्ती होने की सुविधा ले चुके थे। इस योजना को गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए अक्‍टूबर 2007 को शुरू किया गया था और अप्रैल 2008 से अमल में लाया गया। इसमें सालाना प्रीमियम का 75% भारत सरकार देती है, जबकि 25% राज्य सरकारें देती हैं।औरऔर भी

नाइजीरिया, घाना, मालदीव और बांग्लादेश जैसे देशों ने भारत की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं विशेषकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के प्रति गहरी रूचि दिखाई है। श्रम और रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि ये देश अपने यहां ऐसी ही योजनाओं को लागू करने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और वॉशिंगटन में हुए जी-20 देशों के श्रम मंत्रियों के सम्मेलन जैसे वैश्विक मंचों पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की तारीफ की जा चुकीऔरऔर भी

आम लोगों के लिए कल्याण योजनाओं का विस्तार करने के क्रम में सरकार ने घरेलू श्रमिकों को भी स्वास्थ्य बीमा के तहत लाए जाने को मंजूरी दे दी है। गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में देश के पंजीकृत 47.50 लाख घरेलू श्रमिकों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना योजना के तहत लाए जाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। इन श्रमिकों में ज्यादातर घरों में काम करनेवाली महिलाएं हैं। बैठक केऔरऔर भी

भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा हज़ारे और बाबा रामदेव के आंदोलन से बचाव की मुद्रा में आई यूपीए सरकार अब देश के गरीबों को पटाने में लग गई है। गुरुवार को कैबिनेट ने गरीब बुजुर्गों और बीड़ी मजदूरों पर करीब 3081 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने का फैसला किया है। इसमें गरीब बुजुर्गों पर 2770 करोड़ और बीड़ी मजदूरों पर 311 करोड़ रुपए खर्च होंगे। हालांकि इन दोनों लोकलुभावन कदमों का प्रस्ताव वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इसऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भ्रष्टाचार का खात्मा किए बिना समावेशी विकास का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्वीकार किया कि ऊंची आर्थिक वृद्धि दर का लाभ देश की आबादी के बडे हिस्से तक नहीं पहुंच पाया है। शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में उद्योग संगठन सीआईआई के राष्ट्रीय सम्मेलन व वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘‘प्रशासन की विफलता और तंत्र में भ्रष्टाचार से गरीब तबका प्रभावित होता है।औरऔर भी

सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) को शुरुआती दो सालों में मिली सफलता से इतनी उत्साहित है कि वह इसके दायरे में गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को भी लाने पर विचार कर रही है। यह जानकारी आज श्रम व रोजगार मंत्रालय में श्रम कल्याण विभाग के महानिदेशक अनिल स्वरूप ने दी। वे नई दिल्ली में फिक्की द्वारा स्वास्थ्य बीमा पर आयोजित एक वर्कशॉप में बोल रहे थे। अभी यह योजना केवल गरीबी रेखा के नीचेऔरऔर भी