थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर लगातार पांचवें महीने 10 फीसदी से ऊपर रही है। मुद्रास्फीति में दहाई अंक का यह सिलसिला इस साल फरवरी से शुरू हुआ है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में मुद्रास्फीति की सालाना वृद्धि दर 10.55 फीसदी रही है, जबकि मई में यह 10.16 फीसदी ही थी। इस बीच अप्रैल के अंतिम आंकड़े आ गए हैं जिसके मुताबिक उस माह में मुद्रास्फीतिऔरऔर भी

सरकार इस बात से चिंतित है कि देश में ब्याज दर वायदा (इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स या आईआरएफ) का कारोबार ठंडा पड़ता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ने सालाना मौद्रिक नीति में प्रस्ताव रखा है कि अब आईआरएफ में 5 साल व दो साल की सरकारी प्रतिभूतियों के साथ ही 91 दिवसीय ट्रेजरी बिलों पर भी आधारित कांट्रैक्ट शुरू किए जाएं। अभी तक केवल दस साल के सरकारी बांड पर आधारित कांट्रैक्टऔरऔर भी

रिजर्व बैंक और बैंकिंग ओम्बड्समैन के दफ्तर को बराबर शिकायतें मिल रही हैं कि बैंक कुछ ऋणों व अग्रिम पर अनाप-शनाप ब्याज और शुल्क ले रहे हैं। बैंक आम ग्राहकों, किसानों व पेंशनभोगियों के साथ उचित बर्ताव नहीं करते। यह हालत तब है जब रिजर्व बैंक ने सालोंसाल से ग्राहकों के साथ उचित बर्ताव सुनिश्चित करने के लिए बहुत सारे उपाय कर रखे हैं। इसलिए अब रिजर्व बैंक ने एक कमिटी बनाने का फैसला किया है जोऔरऔर भी

ठीक एक हफ्ते बाद आज ही के दिन भारतीय रिजर्व बैंक नए वित्त वर्ष 2010-11 की सालाना मौद्रिक नीति घोषित करेगा। इसलिए वह क्या करेगा क्या नहीं, इसको लेकर कयासों का दौर तेज होने लगा है। आज वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाओं के सचिव आर गोपालन ने कहा कि रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति थोड़ा और कठोर बना सकता है। वे राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से बात कर रहे थे। बता दें कि रिजर्व बैंक स्वायत्त नियामकऔरऔर भी