संघर्ष की तोड़
लौकिक को अलौकिक बता दो। कर्मफल को विधि का विधान बता दो। मूर्तिभंजक की मूर्तियां बना दो। सुधारक को आराध्य बना दो। इंसान को भगवान बना दो। संघर्ष की धार कुंद करने के ये पक्के सूत्र हैं।और भीऔर भी
गुरु के बिना
जो लोग आत्म-मुग्ध होते हैं, भगवान की जरूरत उन्हें पड़ती हैं और जो अपने से मुक्त हैं, उन्हें गुरु की। भगवान तो अपनी छाया है। उससे क्या डरना और क्या पाना? हां, गुरु जरूर हमें बहुत कुछ देता है।और भीऔर भी
फ्यूचर एंड ऑप्शन पर भगवान-भक्त संवाद
भक्त: हे भगवान! मेरी मनोकामना है कि ये बाजार चढता जाए तो अच्छा रहे। बाजार में किसान, मजदूर आदि सभी ने तरह-तरह के अच्छे अच्छे शेयर ले रखे हैं। इन ईमानदार मेहनती लोगों की गाढ़े पसीने की कमाई अमीर लोग वैसे ही हजम कर जाना चाहते हैं जैसे खड़ी सब्जी की फसल पर किसान को व्यापारी हजम कर जाना चाहता है। (वह कहता है कि सस्ते में फसल बेचो, वरना मैंने तो माल खरीदना नही है, औरऔरऔर भी
धुंधलके के पीछे
यहां से वहां तक सारे फैसले तो लोग ही करते हैं। दूर से सब कुछ धुंधला दिखता हैं। यह धुंधलका और गहरा हो जाए, साफ कुछ न दिखे, इसलिए लोग भगवान व विधान का पाखंड खड़ा कर देते हैं।और भीऔर भी
देना दिल से
आप कोई भगवान तो हो नहीं कि आपका दिया पाने के लिए पात्रता जरूरी है। आप दिल से देना चाहते हैं तो आप ही को सुनिश्चित करना पड़ेगा कि सामनेवाले को मिला कि नहीं। उस पर तोहमत मढ़ने का कोई तुक नहीं है।और भीऔर भी
राम भरोसे कब तक!
मां-बाप की छत्रछाया से निकलने के बाद ही बच्चा जीवन के असली सबक सीख पाता है। इसी तरह राम भरोसे रहने पर हम पूरी तरह खुल नहीं पाते। भगवान का सहारा हमारे मानुष जन्म को अधूरा रख छोड़ता है।और भीऔर भी
न भगवान, न भुनगा
हम इतने बड़े भी नहीं कि खुदा हो जाएं और इतने छोटे भी नहीं कि कोई भुनगे की तरह मसल दे। हम सब निमित्त हैं। पर जो काम हमें करना है, उसे हमें ही करना होगा। नहीं तो नया निमित्त मिलने में देर हो सकती है।और भीऔर भी
अंदर का दम
हुनर की हर सीढ़ी को पार करने के लिए अंदर से दम भरने की, अंतःप्रेरणा की जरूरत होती है। इसका स्रोत है तो अंदर, लेकिन बाहर का बहाना चाहिए। यह बहाना कोई भगवान, गुरु या पेड़ तक कुछ भी हो सकता है।और भीऔर भी

