हम इस सेटलमेंट में निफ्टी के उच्च स्तर को अब पार कर चुके हैं। इससे 5500 पर फंसे सभी निवेशकों को निकलने की राह मिल गई है। हालांकि बहुत दूर की कौड़ी यह भी है कि इस स्तर भी लांग रहा जा सकता था। दूसरी तरफ निफ्टी नीचे में 5185 तक चला गया। यह फिसलन इतनी तेज थी कि ट्रेडर लगातार बेचते हुए अपनी औसत लागत घटाते रहे ताकि वह 5300 पर आ जाए। फिर भी बाजारऔरऔर भी

लंबे समय की बात छोड़िए, आपको तो थोड़े समय के लिए भी बाजार की दशा-दिशा को लेकर फिक्र करने की जरूरत नहीं है। अगर हम वित्त वर्ष 2011-12 के अनुमानित लाभ को आधार बनाएं तो भारतीय बाजार अभी 16 के पी/ई अनुपात पर चल रहा है जो इक्विटी मूल्यांकन के वैश्विक मापदंड से काफी नीचे है। इसलिए उन लोगों को कहने दीजिए, जो कहते हैं कि भारतीय बाजार महंगा हो चला है और इसमें अब गिरावट आनीऔरऔर भी

मैंने कल ही आवेगी शेयरों से बचने की सलाह दी थी। आईएफसीआई आज इसका पहला शिकार हो गया। सरकार ने कहा है कि वो इससे लिए बांडों को इक्विटी में बदल देगी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को आईएफसीआई के 52 करोड़ अतिरिक्त शेयर मिल जाएंगे। 520 करोड़ रुपए का यह निवेश इसकी 737.84 करोड़ रुपए की मौजूदा इक्विटी का लगभग 70 फीसदी है। जाहिर है कि इक्विटी बढ़ जाने के बाद कंपनी का मूल्यांकन अभीऔरऔर भी