बिग बाजार और फ्यूचर समूह के मालिक किशोर बियानी का नाम आपने जरूर सुना होगा, लेकिन प्राइवेट इक्विटी फंड एवरस्टोन कैपिटल के सह-संस्थापक समीर सैन का नाम शायद ही सुना हो। मगर बियानी और सैन आपस में एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह जानते-समझते हैं। असल में समीर सैन गोल्डमैन सैक्श के प्रबंध निदेशक रह चुके हैं और 2006 में उन्होंने ही बियानी के साथ मिलकर फ्यूचर कैपिटल होल्डिंग्स का गठन किया था। ठीक चार साल पहले जनवरीऔरऔर भी

किशोर बियानी के फ्यूचर समूह ने दावा किया है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक वह अपने ऑनलाइन पोर्टल फ्यूचर बाजार से रोजाना कम से कम एक करोड़ रुपए की बिक्री हासिल कर सकता है। फ्यूचरबाजार डॉट काम के अध्यक्ष कश्यप देवरा ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया, “हमने चालू वित्त वर्ष के अंत तक फ्यूचरबाजार डॉट काम पर रोजाना एक करोड़ रुपए का बिक्री ऑर्डर का लक्ष्य रखा है।” उन्होंने कहा कि कंपनी कोऔरऔर भी

यूं तो कम पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे स्टॉक दूरगामी निवेश के लिए सबसे मुफीद होते हैं। लेकिन कभी-कभी कोई कंपनी इतनी नामी हो जाती है, उसकी साख, उसका खास अंदाज, उसकी भावी योजनाएं उसके बारे में निवेशकों को आशा से भर देती हैं और उसका स्टॉक ज्यादा पी/ई पर ट्रेड होने लगता है। किशोर बियानी के फ्यूचर समूह का हिस्सा पैंटालून रिटेल (बीएसई – 523574, एनएसई – PANTALOONR) ऐसी ही कंपनी है। उसका दो रुपएऔरऔर भी

बिग बाजार के मालिक फ्यूचर समूह की इकलौती लिस्टेड कंपनी पैंटालून रिटेल के शेयरों की खरीद आजकल बढ़ गई है। सोमवार को ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में इसके करीब 1.42 लाख शेयरों की ट्रेडिंग हुई जिसका 74.15 फीसदी (60,365 शेयर) हिस्सा डिलीवरी के लिए था। बीएसई में सौदे तो 33,000 शेयरों के ही हुए। लेकिन शेयर का भाव 3.10 फीसदी या 12.90 रुपए की बढ़त के साथ 428.60 रुपए पर पहुंच गया। बाजार की चर्चाओं परऔरऔर भी

संजय तिवारी आर्थिक मसलों पर काम करते समय भारत में मुख्य रूप से दो तरह की मानसिकता काम करती है। एक, वणिक मानसिकता और दूसरी किसान मानसिकता। उधार, लेन-देन और पूंजी से पूंजी का खेल वणिक मानसिकता है। लेकिन यह भी कोई स्वच्छंद व्यवस्था नहीं होती। इसका बाजार से ज्यादा सामाजिक सरोकारों से लेना-देना होता है। जिस भारतीय बैंकिग प्रणाली को आज हमारे वित्तीय प्रबंधक एक मजबूत व्यवस्था घोषित कर रहे हैं उसके मूल में यही सोचऔरऔर भी