पैंटालून रिटेल: महंगा है तो सस्ता भी

यूं तो कम पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे स्टॉक दूरगामी निवेश के लिए सबसे मुफीद होते हैं। लेकिन कभी-कभी कोई कंपनी इतनी नामी हो जाती है, उसकी साख, उसका खास अंदाज, उसकी भावी योजनाएं उसके बारे में निवेशकों को आशा से भर देती हैं और उसका स्टॉक ज्यादा पी/ई पर ट्रेड होने लगता है। किशोर बियानी के फ्यूचर समूह का हिस्सा पैंटालून रिटेल (बीएसई – 523574, एनएसई – PANTALOONR) ऐसी ही कंपनी है। उसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल थोड़ा गिरकर 245.95 रुपए पर बंद हुआ है। इस भाव पर उसका पी/ई अनुपात निकलता है 43.56 क्योंकि कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 5.65 रुपए है। शेयर की बुक वैल्यू 120.16 रुपए है।

सामान्यतः अगर कोई स्टॉक 40 के ज्यादा पी/ई पर ट्रेड हो रहा हो तो उसे हाथ नहीं लगाना चाहिए, लेकिन बिग बाजार, होमटाउन, ई-ज़ोन के रूप में देश का सबसे बड़ा रिटेल तंत्र चलानेवाली कंपनी पैंटालून रिटेल इस स्तर पर भी निवेश के काबिल लगती है। कारण है उसके अंदर की ताकत और विस्तार की योजनाएं। कंपनी का वित्त वर्ष जुलाई से जून तक का है। दिसंबर 2010 में खत्म दूसरी तिमाही में उसने रिटेल के धंधे से 2758..6 करोड़ रुपए की आय पर 47.2 करोड़ रुपए का कर-बाद लाभ कमाया है। साल भर पहले की इसी अवधि की तुलना में उसकी आय 31.2 फीसदी और कर-बाद लाभ 5.5 फीसदी बढ़ा है।

इस दौरान कंपनी का सकल लाभ मार्जिन 10.1 फीसदी से घटकर 8.6 फीसदी पर आ गया। इसकी खास लजह है ई-ज़ोन का ठंडा कामकाज। स्टोर स्तर पर ई-ज़ोन का मार्जिन ऋणात्मक रहा है। लेकिन कंपनी इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए ई-ज़ोन से छुटकारा पाने जा रही है। इसके लिए वह कोई उपयुक्त पार्टनर खोज रही है। ई-ज़ोन के लिए अलग से 1500-2000 वर्गफुट के छोटे स्टोर खोले जाएंगे जिनका स्वरूप कलेक्शन या सेल्स सेंटर का होगा। बिक्री ई-कॉमर्स के जरिए की जाएगी। कंपनी इस धंधे को डिजिटल एंटरटेनमेंट बिजनेस की शक्ल में ढालना चाहती है।

बाकी, कंपनी का विस्तार अच्छी रफ्तार से चल रहा है। जुलाई से दिसंबर तक की पहली छमाही में वह अपने रिटेल कारोबार में 12 लाख वर्गफुट नए जोड़ चुकी है। जून 2011 तक वह इस वित्त वर्ष में कुल 25 लाख वर्गफुट के विस्तार का लक्ष्य हासिल कर लेने के प्रति आश्वस्त है। अगले वित्त वर्ष (जुलाई 2011 से जून 20112 में) वह रिटेल के धंधे में 28 लाख वर्गफुट और जोड़ने का इरादा रखती है।

चालू वित्त वर्ष में जून 2011 तक की बाकी अवधि की बात करें तो इस दौरान होम टाउन का नया स्टोर खोलेगी। साथ ही वह जून तक बिग बाजार के 19 स्टोर, फूड बाजार के सात स्टोर और केबी’ज़ फेयरप्राइस के 98 स्टोर खोलने जा रही है। केबी’ज़ फेयरप्राइस का स्वरूप आम खुदरा दुकानों की तरह का है। इन्हें केवल दिल्ली और मुंबई में खोला जाएगा। फल व सब्जियों जैसी फटाफट खराब होनेवाली चीजों से दूर इन स्टोरों को कंपनी प्राइवेट लेबल बिजनेस के रूप चलाना चाहती है। बैंगलोर में कंपनी का फूड पार्क चालू हो जाने के बाद इन स्टोरों का ज्यादातर माल वही से आएगा।

कंपनी के साथ नकारात्मक बात यह है कि उसके ऊपर अच्छा-खासा कर्ज है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पूरे चालू वित्त वर्ष में कंपनी पर कुल अनुमानित कर्ज 4652 करोड़ रुपए का रहेगा। अगले दो सालों में इसके क्रमशः 5452 करोड़ और 6302 करोड़ रुपए हो जाने का आकलन है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कंपनी के तीन-चौथाई ऋण 3.5 साल की परिपक्वता के है। लेकिन सारे पहलुओं पर गौर करने के बाद एचडीएफसी सिक्यूरिटीज का आकलन है कि अगले वित्त वर्ष 2011-12 में पैंटालून रिटेल के मूल रिटेल बिजनेस का ईपीएस 17.8 रुपए रहेगा। अगर पी/ई अनुपात 20 लिया जाए तो यह शेयर साल भर बाद 356 रुपए होना चाहिए। इस तरह इसे मौजूदा भाव पर खरीदने पर साल भर में 40 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिल सकता है।

अंत में फ्यूचर समूह की दो अलग बातें। यह देश का पहला समूह है जिसमें भारत की परंपरागत ज्ञान व दर्शन को धंधे से जोड़ने के लिए चीफ बिलीफ ऑफीसर (सीबीओ) की अलग से नियुक्ति कर रखी है। देवदत्त पटनायक को इसकी कमान सौंपी गई है। दूसरे, कंपनी के कामकाज में परिवार की अनाश्यक दखलंदाजी न हो, इसके लिए उनका अलग ही बोर्ड बना दिया गया है। ये दोनों बातें किशोर बियानी के बहुत व्यावहारिक, प्रोफेशनल और दूरगामी दृष्टि की परिचायक हैं। याद रखें, कल को जब भी मल्टी ब्रांड रिटेल व्यवसाय में एफडीआई की इजाजत दी जाएगी, सबसे ज्यादा फायदा पैंटालून रिटेल को होगा। वैसे भी इसका शेयर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 218.30 (11 फरवरी 2011) के काफी करीब चल रहा है, जबकि इसका उच्चतम स्तर 556.75 (13 जुलाई 2010) का रहा है।

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