इंसान की न इच्छाओं का अंत है और न ज़रूरतों का। इसीलिए इन्हें पूरा करने में लगी नई-नई कंपनियों के आने का भी कोई अंत नहीं। जो व्यापक लोगों की ज़रूरत को जितना बेहतर पूरा करती है, वो उतनी ही सफल कंपनी बन जाती है। उपयोगी चीज़ बनाती है, जीवन में मूल्य जोड़ती है तो लोग भी उसे दाम देकर बढ़ाते जाते हैं। नतीज़तन उसके स्वामित्व/शेयर का मूल्य बढता जाता है। तथास्तु में ऐसी ही मूल्य-युक्त कंपनी…औरऔर भी

वजह बाहरी हो या भीतरी, हकीकत यही है कि अपने यहां अभी एक शेयर 52 हफ्ते के शिखर पर है तो आठ तलहटी पर। गिरनेवालों में एसीसी, सेंचुरी प्लाई, ग्रासिम इंडस्ट्रीज़ और अल्ट्राटेक सीमेंट जैसे तमाम दिग्गज शामिल हैं। क्या तलहटी पर पहुंचा हर शेयर खरीदने लायक है? नहीं। बस नाम व दाम के पीछे भागे तो वैल्यू ट्रैप में फंस जाएंगे। हमें चुननी होगी मजबूत आधार और अच्छे प्रबंधन वाली कंपनी। लीजिए, ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

धीरे-धीरे यह सेवा लेनेवालों की संख्या बढ़ रही है तो हल्की-सी घबराहट के साथ जिम्मेदारी और जवाबदेही का भाव भी बढ़ता जा रहा है। जब लोग आप पर भरोसा करने लगे तो उनके प्रति आपकी जवाबदेही बढ़ जाती है। अपनी तरफ से सच्ची सेवा देने का संकल्प है। लेकिन एक बात गांठ बांध लें कि मैं या कोई दूसरा आपको पैसे बनाकर नहीं देगा। पैसे के मामले में किसी की नहीं, सिर्फ अपनी सुनें। अब टिप्स आजऔरऔर भी

15 मार्च 2012, चालू वित्त वर्ष 2011-12 की अंतिम तिमाही में एडवांस टैक्स की आखिरी किश्त देने की आखिरी तारीख। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) तो कई दिन बाद पूरे आंकड़े जारी करता है। लेकिन देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से मिले शुरुआती संकेतों से पता चला है कि कॉरपोरेट क्षेत्र में ज्यादा टैक्स नहीं भरा है। जिन्होंने दिया है, उनमें बैंकिंग व बीमा कंपनियां सबसे आगे हैं। देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)औरऔर भी

शेयर बाजार किसी भी आस्ति वर्ग से ज्यादा रिटर्न देनेवाला माध्यम है। यहां निवेश करने के दो ही रास्ते हैं। एक, अपनी रिसर्च के दम पर सीधे शेयरों को चुनकर निवेश करना और दो, म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना। अगर आप अपनी रिसर्च नहीं कर सकते तो आपके लिए एकमात्र रास्ता म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों का है। वैसे, अपने स्तर पर रिसर्च मुश्किल नहीं है। हम इस कॉलम के जरिए यही साबित करने और सिखानेऔरऔर भी

कॉरपोरेट क्षेत्र में बहस छिड़ी है कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह देश के लिए वरदान हैं या अभिशाप। देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी, एचडीएफसी के प्रमुख दीपक पारेख जैसे दिग्गज कहते हैं कि डॉ. सिंह के रूप में हमें अब तक के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री मिले हैं। वे एकदम बेदाग राजनेता हैं। इसलिए देश के वरदान हैं। वहीं दूसरा पक्ष कहता है कि डॉ. सिंह भले ही स्वच्छतम छवि के नेता हों, लेकिन उन्होंने जिसऔरऔर भी

हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) का धंधा एकदम सीधा सरल है। पहले हमारे बाप-दादा रिटायर होने के बाद ही घर बना पाते थे। लेकिन आज 30-35 साल के नौकरीपेशा लोग भी मुंबई व दिल्ली जैसे शहर में अपना घर बना ले रहे हैं तो इसे सुगम बनाने और इस ख्वाहिश को बिजनेस म़ॉडल बनाने का श्रेय एचडीएफसी के संस्थापक हंसमुख ठाकुरदास पारेख को जाता है। 1977 में उन्होंने आम मध्य वर्ग के लोगों को हाउसिंग फाइनेंस देनेऔरऔर भी

कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जिनमें लंबे समय के निवेश को लेकर ज्यादा कुछ आगा-पीछा सोचने की जरूरत नहीं होती। बस यही देखना पड़ता है कि उन्हें सस्ते में पकड़ने का वक्त है कि नहीं। एचडीएफसी ऐसी ही कंपनी है। हाउसिंग फाइनेंस की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी कंपनी। हमारे यहां 30-32 साल के नए-नए नौकरी करनेवाले लोग भी जो लोन लेकर खटाक से घर के मालिक बन जा रहे हैं, वो पूरी सहूलियत और इस धंधेऔरऔर भी

यूटीआई म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को वित्तीय रूप से साक्षर बनाने का अभियान फिर चलाने का फैसला किया है। बहुत मुमकिन है कि इसे भी पिछले साल की तरह जुलाई माह से शुरू कर दिया जाए। इसके तहत म्यूचुअल फंड की तरफ से चार महानगरों – दिल्ली, मुंबई, कोलकाता व चेन्नई से तमाम शिक्षण सामग्रियों के लैस बसें चलाई जाएंगी। इन बसों का नाम नोलेज कारवां रखा गया है। ये बसें शहरों, कस्बों व गांवों में रुक-रुककरऔरऔर भी

निवेश एक कला है और विज्ञान भी। कला अनुशासन से निखरती है और विज्ञान अध्ययन से आता है। इसे साबित कर दिखाया है आईआईएम लखनऊ के छात्रों ने। 2009-11 के बैच के छात्रों के स्वैच्छिक सहयोग से बनाए गए फंड क्रेडेंस कैपिटल ने इक्विटी शेयरों में निवेश पर 17.96 फीसदी और डेरिवेटिव सौदों पर 25.84 फीसदी रिटर्न हासिल किया है, जबकि इसी दौरान निफ्टी में 5.56 फीसदी की ही बढ़त दर्ज की गई। निवेश की अवधि जुलाईऔरऔर भी