संकट तब से सुलग रहा है, जब से मार्च 2020 में कोरोना से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन लगा। मजदूर विस्थापित हो गए। जो गांव लौटे, वे वापस लौटे तो सही। मगर इधर-उधर बिखर गए। सप्लाई की कड़ियां टूट गईं। फिर पेट्रोल-डीजल के दाम। कच्चे माल से लेकर ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ती गई। इसके ऊपर से ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु में असंतुलन से उपजी विकराल समस्याएं। मसलन, अमेरिका के जंगलों में लगी आग। इससे कैलिफोर्निया व छह अन्य राज्यों का जीवन झुलस गया। बादाम, पिश्ता व एप्रिकोट जैसी तमाम खाने-पीने की चीजों का उत्पादन घटा तो उनके दाम चढ़ गए। सूखे और पानी की कमी से दुनिया भर में खाद्य संकट गहरा रहा है। प्राकृतिक गैस की कमी से उर्वरक उत्पादन प्रभावित हुआ है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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