भारतीय बैंकिंग उद्योग बना एजेंसियों का अखाड़ा, एस एंड पी ने उठाया ग्रेड

भारतीय बैंकिंग उद्योग अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों के लिए पैंतरेबाजी का अड्डा बन गया लगता है। मूडीज़ ने सितंबर में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) की रेटिंग डी+ से घटाकर सी- कर दी थी। फिर बुधवार, 9 नवंबर को उसने भारतीय बैंकिंग उद्योग का नजरिया घटाकर स्थिर से नकारात्मक कर दिया। लेकिन दुनिया की दूसरी प्रमुख एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) की 9 नवंबर को ही जारी उस रिपोर्ट पर किसी का ध्यान नहीं गया, जिसमें उसने भारतीय बैंकिंग उद्योग को अपग्रेड कर उसके जोखिम को पहले से कम कर दिया है।

अभी तक एस एंड पी ने बैंकिंग इंडस्ट्री कंट्री रिस्क एसेसमेंट (बिक्रा) के पैमाने पर भारत को ग्रुप 6 में रखा था। लेकिन अब उसे एक अंक ऊपर उठाकर ग्रुप 5 में डाल दिया है। साथ ही आर्थिक जोखिम का स्कोर भी 6 से घटाकर 5 कर दिया है। इसके अलावा भारतीय बैंकिंग उद्योग का कुल जोखिम स्कोर 5 कर दिया है। ब्रिका के ग्रुप 5 में आनेवाले दूसरे देश हैं – चीन, पुर्तगाल, थाईलैंड और तुर्की।

एस एंड पी का कहना है कि उसने भारतीय बैंकिंग सेक्टर को दी गई रेटिंग बीबीबी-/स्टेबल/ए-3 की समीक्षा ब्रिका पद्धति के तहत की और उसके आधार पर उसे अगग्रेड किया है। ब्रिकी पद्धति में दुनिया भर की बैंकिंग प्रणाली को एक खास पैमाने पर कसा जाता है। इसमें एक से दस अंक हैं। जिस देश का अंक एक है, मतलब कि वहां के बैंकिंग उद्योग में सबसे कम जोखिम है। वहीं, जिस देश का बिक्रा स्कोर दस है, मतलब वहां के बैंकिंग उद्योग में सबसे ज्यादा जोखिम है।

रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक जोखिम के पैमाने पर 5 अंक देने का मतलब है कि भारत आर्थिक लचीलेपन के मामले में काफी जोखिम भरा है, लेकिन आर्थिक असंतुलन में यहा कम जोखिम है। भारत के आर्थिक लचीलेपन की सीमा यह है कि यहां प्रति व्यक्ति जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) साल 2011 में मात्र 1418 डॉलर रहने का अनुमान है। हालांकि इसका प्रभाव तब खत्म हो जाता है जब हम भारत की आर्थिक विविधता व विकास की सतत संभावनाओं को देखते हैं।

एस एंड पी के मुताबिक भारत में बैंकिंग क्षेत्र का नियमन अंतरराष्ट्रीय मानको पर खरा उतरता है। ऱिजर्व बैंक इस पर बराबर निगरानी रखता है। भारतीय बैंकिंग उद्योग में डिस्क्लोजर या जानकारियां देने का स्तर कुछ हद तक अपर्याप्त है। लेकिन उनके संचालन के मानक आमतौर पर पर्याप्त हैं। भारत में एस एंड पी से संबद्ध रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने हाल ही में एक अध्ययन में बताया है कि भारत के ज्यादातर बैंक 2013 से लागू होनेवाले बासेल-3 मानकों को अभी से पूरा कर रहे हैं।

एस एंड पी ने अपनी रिपोर्ट ने भारत सरकार को बैंकिंग उद्योग के प्रति काफी सहयोग देनेवाला बताया है। उसके मुताबिक बैंकिंग प्रणाली को जब भी जरूरत होगी, सरकार सहयोग देने के लिए तैयार रहेगी। बता दें कि देश में निजी क्षेत्र के आने के बाद भी बैंकिंग उद्योग का लगभग 75 फीसदी हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है। एस एंड पी ने बिक्रा के पैमाने पर इस समय दुनिया के 86 देशों का मूल्यांकन कर रखा है।

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