शेयर का भाव देखकर नहीं पता चलता कि वह सस्ता है या महंगा। 5 रुपए का भी कोई शेयर महंगा हो सकता है और 5000 रुपए का शेयर भी सस्ता। शेयर महंगा है या सस्ता, इसका सबसे प्रचलित पैमाना है पी/ई अनुपात, मतलब शेयर का भाव कंपनी के प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) से कितना गुना चल रहा है या बाज़ार कंपनी के प्रति शेयर एक रुपए के लाभ के लिए कितना दाम देने को तैयार है। दूसरा मुख्य तरीका है पीईजी अनुपात। इसे कंपनी के पी/ई अनुपात को शुद्ध लाभ या ईपीएस के बढ़ने की दर से भाग देकर निकाला जाता है। एक से कम पीईजी अनुपात तो शेयर सस्ता। वहीं, पी/ई अनुपात निफ्टी या सेंसेक्स के पी/ई अनुपात से जितना कम, उतना ही सस्ता। लेकिन इन दोनों ही तरीकों को कंपनी के शेयर के ट्रैक रिकॉर्ड के संदर्भ में देखना होता है। नहीं तो बाज़ी हाथ से निकल जाती है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक ‘महंगी’ कंपनी…
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