पानी अपने बहने का रास्ता खुद ढूंढ लेता है। लेकिन उसके संचय के लिए सायास टंकी या तालाब बनवाना पड़ता है। उसी तरह पैसा बहाने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं होती। लेकिन उसके संचय व सही नियोजन के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। रातोंरात धन बनता नहीं, उड़ता है। इसलिए कभी भी खटाखट नोट बनाने के चक्कर में न पड़ें। धैर्य रखें। शेयर बाजार में बराबर ट्रेड हो रही करीब 3000 कंपनियों में से कम से कम 500 ऐसी हैं जिनसे आपकी बचत का टांका भिड़ाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि जिस तरह ज़िंदगी में इकतरफा इश्क नहीं चलता। उसी तरह शेयर बाजार में इकतरफा लालच का कोई मतलब नहीं होता। आग दोनों तरफ लगी होनी चाहिए। जितनी जरूरत आपको अपना धन बढ़ाने की है, उतनी ही जरूरत कंपनी को धंधा बढ़ाने के लिए आपके धन की होती है। इसलिए निवेश उन्हीं कंपनियों में करना चाहिए जो वाकई धंधा बढ़ाने के प्रति गंभीर है और बराबर नए मूल्य का सृजन कर रही हैं।
सोमानी सिरैमिक्स ऐसी ही एक कंपनी है। घरेलू खपत पर आधारित कंपनी है। तमाम तरह की वॉल व फ्लोर टाइल्स के साथ ही बाथरूम फिटिंग व सैनिटरीवेयर उत्पाद बनाती है। देश के सिरैमिक टाइल उद्योग में स्थापित क्षमता के मामले में कजारिया सिरैमिक्स के बाद दूसरे नंबर पर है। बता दें कि इस समय टाइल्स की खपत का तकरीबन आधा हिस्सा अंसगठित क्षेत्र से आता है। बाकी घरेलू बाजार के 50 फीसदी ब्रांडेड सेगमेंट का करीब 11 फीसदी भाग सोमाना सिरैमिक्स के पास है। असंगठित क्षेत्र की टाइल्स का सबसे बड़ा केंद्र गुजरात के मोरबी में है। सोमानी ने उस हिस्से को पकड़ने के लिए करीब चार महीने पहले ही मोरबी की एक कंपनी विंटेज टाइल्स प्रा. लिमिटेड की 26 फीसदी इक्विटी खरीद ली है। विंटेज एक नया संयंत्र लगा रही है और सोमानी उसके उत्पादों को देश भर में फैले अपने वितरण नेटवर्क के जरिए बेचेगी।
सोमानी सिरैमिक्स का दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीते हफ्ते शुक्रवार, 3 फरवरी 2012 को बीएसई में (कोड – 531548) में 41.30 रुपए और एनएसई (कोड – SOMANYCERA) में 41.25 रुपए पर बंद हुआ है। पिछले महीने 9 जनवरी 2012 को 28.50 रुपए तक गिर जाने के बाद यह उठा है। वैसे, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि करीब सवा तीन साल पहले यह अक्टूबर 2008 में 7.31 रुपए तक गिर गया था। यह तलहटी पकड़ने के बाद वो धीरे-धीरे उठने लगा। जुलाई 2009 के बाद इसका ग्राफ तेजी से उठा। नवंबर 2010 में यह अब तक के सर्वोच्च स्तर 71.37 रुपए तक पहुंच गया। इसका पिछले 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 57.50 रुपए है जो इसने 29 जुलाई 2011 को हासिल किया था।
चालू वित्त 2011-12 के दौरान कंपनी का शुद्ध लाभ जून तिमाही में 21.04 फीसदी और सितंबर तिमाही में 4.93 फीसदी बढ़ा था। लेकिन दिसंबर तिमाही में उसमें 9.04 फीसदी की कमी आ गई। दिसंबर तिमाही में कंपनी ने 216.93 करोड़ रुपए की बिक्री पर 4.73 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। बीते पूरे वित्त वर्ष में उसकी बिक्री 710.58 करोड़ और शुद्ध लाभ 23.43 करोड़ रुपए रहा था। दिसंबर तिमाही को मिला दें तो उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 7.03 रुपए है। इस तरह उसका शेयर केवल 5.87 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
यह सच है कि कंपनी का शुद्ध लाभ दिसंबर तिमाही में घटा है, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि इस दौरान उसकी बिक्री 21.86 फीसदी बढ़ी है। लाभ के घटने की मुख्य वजह ब्याज अदायगी का 4.35 करोड़ रुपए से बढ़कर 5.68 करोड़ रुपए हो जाना है। इसीलिए कंपनियां बराबर रिजर्व बैंक से ब्याज दर घटाने की मांग करती रहती हैं। अभी सोमानी पर कर्ज का बोझ थोड़ा बढ़ गया है। उसका ऋण-इक्विटी अनुपात 1.91 है। लेकिन नेटवर्थ पर 25.57 फीसदी के रिटर्न को देखते हुए इसे संभालना उसके लिए मुश्किल नहीं होगा। वैसे भी, ब्रोकरेज फर्म एडेलवाइस के डाटाबैंक के अनुसार पिछले तीन सालों में कंपनी का शुद्ध लाभ 82.01 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। इस कंपनी में तीन से चार सालों के नजरिए के साथ निवेश करने में कोई हर्ज नहीं है। कंपनी का यह स्लोगन काफी सटीक लगता है – कुछ नहीं बिगड़ेगा।
यह स्मॉल कैप कंपनी है। इसकी 6.90 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 63.31 फीसदी और पब्लिक का हिस्सा 36.69 फीसदी है। पब्लिक के हिस्से में एफआईआई का निवेश मात्र 0.04 फीसदी और डीआईआई का 0.59 फीसदी है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 4168 है। इसमें से 3854 (92.5 फीसदी) एक लाख रूपए के कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं। कंपनी 2008 के बाद से लगातार हर साल लाभांश देती रही है।
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