अर्थव्यवस्था के उबरने की कोई सूरत नहीं दिख रही। लेकिन शेयर बाज़ार का मूल्यांकन किसी दम्भी राजा के गुमान की तरह फूले जा रहा है। आखिर कब उसका गुमान टूटेगा, गुब्बारा फूटेगा? लॉकडाउन में घर-बैठे लोग साल भर से बाज़ार में कूदते रहे हैं और फिर कूदने को तत्पर हैं। देश 1992 से लेकर 2008 तक हर्षद मेहता व केतन पारिख से लेकर हेजफंड और सब-प्राइम संकट से निकले भूचाल देख चुका है। लेकिन इस बार कब धमाका होगा, किसी को नहीं पता। जानकार कहते हैं कि बाज़ार इसी तरह साल-डेढ़ साल चढ़ता-उतरता रह सकता है। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...