निर्यातकों की डीईपीबी स्कीम पर शर्मा अड़े

भारतीय निर्यातकों के लिए लोकप्रिय प्रोत्साहन स्कीम डीईपीबी (ड्यूटी इनटाइटलमेंट पासबुक स्कीम) का विस्तार किए जाने की वकालत करते हुए वाणिज्य मंत्री आनन्द शर्मा ने कहा है कि वे नई दिल्ली लौटकर इस मुद्दे को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के सामने उठाएंगे। शर्मा ने सोमवार को आदिस अबाबा (इथियोपिया) में यह बात कही।

उन्होंने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया, ‘‘मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो यह कह रहे हैं कि हमारा निर्यात ऐसे स्तर पर पहुंच गया है जहां हम कुछ प्रोत्साहनों को खत्म कर सकते हैं। मैं वित्त मंत्री के साथ डीईपीबी व ब्याज दरों पर चर्चा करने जा रहा हूं।’’ उन्होंने कहा कि वे नई दिल्ली लौटकर वित्त मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे। शर्मा आदिस अबाबा में भारत-अफ्रीका फोरम की बैठक में हिस्सा लेने आए हुए हैं।

वित्त वर्ष 2010-11 में देश का निर्यात 37.55 फीसदी बढ़ने के साथ वित्त मंत्रालय कर छूट वाली शुल्क पात्रता पासबुक (डीईपीबी) स्कीम को आगे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। सरकार निर्यात के लिए आयात की जाने वाली वस्तुओं पर कर रिफंड के तौर पर हर साल निर्यातकों को करीब 8000 करोड़ रुपए का भुगतान करती है। डीईपीबी स्कीम 30 जून 2011 को खत्म होने वाली है। लेकिन निर्यातक वाणिज्य मंत्रालय से इस स्कीम को जारी रखे जाने की रट लगाए हुए हैं।

शर्मा ने कहा कि भारत को निर्यात वृद्धि दर अच्छी रहने के लिए तरीके ढूंढने होंगे क्योंकि वैश्विक व्यापार में भारत के निर्यात का योगदान बहुत कम है। उन्होंने कहा, ‘‘निर्यातकों को सहूलियत देनी होगी। इसी सहूलियत से निर्यात बढ़ाया जा सकता है। हम निर्यात कैसे बढ़ा सकते हैं? हम व्यापार घाटे को कैसे कम कर सकते हैं? इन चिंताओं पर मैं वित्त मंत्री से चर्चा करूंगा।’’ बता दें कि 2010-11 के दौरान भारत का निर्यात 37.55 फीसदी बढ़कर 245.86 अरब डॉलर रहा है।

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