तथ्य अलग, बाज़ार का सत्य अलग। एक तो अपने यहां पहले से ही बेरोज़गारी जैसे अहम आर्थिक कारकों के ताज़ा आंकड़े उपलब्ध नहीं है। दूसरे, 2015 में जीडीपी की नई सीरीज़ आने के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था के सरकारी आंकड़े बड़े अविश्वसनीय हो गए हैं। कॉरपोरेट क्षेत्र अगर वाकई इतना बढ़ रहा होता तो बीएसई में लिस्टेड 4684 में से 2947 यानी 62.9% कंपनियों के प्रवर्तकों ने अपने शेयर गिरवी नहीं रखे होते। अब गुरु की दशा-दिशा…
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