सत्रह जनवरी 2012 को जब हमने इस दवा कंपनी में निवेश को कहा था, तब उसका शेयर 14.35 रुपए पर था। इसी महीने उसका शेयर 322.50 तक उठने के बाद फिलहाल 285 रुपए पर है। तीन साल में 1886% रिटर्न! इसके पीछे कोई ऑपरेटर नहीं, बल्कि कंपनी के बिजनेस की ताकत है। वह शोध पर जमकर निवेश करती है। उसके पास तमाम दवाओं के पेटेंट हैं। अब भी यह दीर्घकालिक निवेश के लिए एकदम मुफीद कंपनी है…
जी हां। यह कंपनी है हैदराबाद की सुवेन लाइफ साइंसेज़ लिमिटेड। तीन साल पहले तक यह संघर्ष कर रही थी। तब हमने लिखा था, “निश्चित रूप से सुवेन की लाइफ में संघर्ष बहुत हैं। उसे फाइज़र और स्मिथक्लाइन जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ताकत से लड़ना है। लेकिन कंपनी अगर अपने लक्ष्य के मुताबिक अल्ज़ाइमर व सिज़ोफ्रेनिया जैसी बीमारी की दवाओं के विश्व बाजार का 5-10 फीसदी हिस्सा हासिल कर लेती है तो वह गदर काट देगी।”
और, उसने सचमुच गदर काट दिया। हालांकि अल्ज़ाइमर के इलाज़ का उसका रासायनिक एकक (एसीई) या अणु, एसयूवीएन 502 अब भी बाज़ार में नहीं आया है। इस साल उसके कुछ अहम ट्रायल होने हैं। लेकिन इसके बावजूद कंपनी की बिक्री 2011-12 से 2013-14 के दौरान 203.83 करोड़ रुपए से बढ़कर 510.31 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 15.52 करोड़ रुपए से सीधे उछलकर 144.16 करोड़ रुपए हो चुका है। चालू वित्त वर्ष 2014-15 में दिसंबर तक के नौ महीनों में उसकी बिक्री 410.19 करोड़ रुपए रही है, जबकि शुद्ध लाभ लागत वगैरह बढ़ने जाने से अपेक्षाकृत कम 91.80 करोड़ रुपए रहा है। पूरे वित्त वर्ष किए हमारा आकलन है कि उसकी बिक्री 557.42 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 128.31 करोड़ रुपए रह सकता है।
सुवेन लाइफ साइंसेज़ का गठन 1989 में हुआ था। 1990 में उसने काम करना शुरू किया। उसने दवाओं के धंधे में एकदम अलग तरह का बिजनेस मॉडल अपनाया। 1994 में उसने दुनिया में पहली बार क्रैम्स (कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च एंड मैन्युफैक्चरिंग) की अवधारणा पेश की। असल में अमेरिका व यूरोप जैसे विकसित देशों में नई दवा का विकास करना बहुत महंगा हो गया है। फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार कोई एक दवा बनाने का खर्च करीब 500 करोड़ डॉलर (31,250 करोड़ रुपए) हो गया है। ऐसे में वहां की बड़ी दवा कंपनियों ने यह काम भारत जैसे विकासशील व सस्ते देशों को बीपीओ की तरह आउटसोर्स करना शुरू कर दिया है। सुवेन लाइफ इस धंधे की संभावना को देखने व पकड़नेवाली पहली कंपनी है। इस दूरंदेशी का श्रेय उसके प्रवर्तक और चेयरमैन व सीईओ वेंकटेश्वरलु जस्ती को जाता है। 65 साल के जस्ती औद्योगिक फार्मैसी के विशेषज्ञ हैं और उन्हें इस उद्योग का करीब 40 सालों का अनुभव है।
सुवेन लाइफ क्रैम्स के अलावा नए रासायनिक एककों (एनसीई) को विकसित करने को खास तवज्जो देती है। क्रैम्स में दुनिया की करीब 60 कंपनियों से उसने मजबूत पार्टनरशिप बना रखी है। इनमें एस्ट्राजेनेका, फाइज़र, मर्क, एब्बट व कई अन्य वैश्विक कंपनियां शामिल हैं। ये कंपनियां दवाओं का अनुमोदन हासिल कर लेती हैं और उन पर काम करने का कॉन्ट्रैक्ट सुवेन को सौंप देती हैं। इस तरह सुवेन को बराबर ऑर्डर मिलता रहता है। वो अब तक 700 प्रोजेक्ट पूरा कर चुकी है और इस समय 108 प्रोजेक्टों पर काम कर रही है जो विकास के अलग-अलग चरणों में हैं।
वहीं वो खुद भी नई-नई दवाएं विकसित करती है। यह काम उसने 2003 से शुरू किया और अब तक 13 मोलिक्यूल विकसित कर चुकी है जो परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं। कंपनी की विशेषज्ञता केंद्रीय नर्वस सिस्टम में है। इसमें भी उसका फोकस अल्ज़ाइमर, सिज़ोफ्रेनिया, डिप्रेशन व दर्द को संभालने पर है। कंपनी शोध व अनुसंधान (आर एंड डी) पर खुलकर खर्च करती है। पिछले वित्त वर्ष 2013-14 में उसने आर एंड डी पर करीब 340 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
अल्ज़ाइजर के अलावा दो और मोलिक्यूल उसके अंतिम चरण में हैं। जल्दी ही अमेरिकी बाज़ार में इनका पहले चरण का परीक्षण शुरू होना है। इनका कोई भी सकारात्मक नतीजा कंपनी के धंधे को चार चांद लगा सकता है। हालांकि एक बात समझ लेनी चाहिए कि महज पेटेंट मिलने से किसी कंपनी की सेहत पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। यह बात अलग है कि इस आधार पर ऑपरेटर लोग कंपनी के शेयर को आसमान पर पहुंचा देते हैं।
हालांकि कंपनी का धंधा बड़ा चौकस चल रहा है। 2013-14 में उसका नेटवर्थ या इक्विटी पर रिटर्न (RoE) 69 प्रतिशत था। लेकिन पिछले चार साल की उपलब्धि और अगले चार के अनुमान का औसत RoE करीब 25 प्रतिशत निकलता है, जिसके काफी अच्छा माना जाएगा। कंपनी लगातार अपने ऋण उतारती जा रही है। उसका ऋण इक्विटी अनुपात 2011-12 में 0.6 था, जबकि 2013-14 में 0.3 पर आ गया। हमारा आकलन है कि कंपनी जल्दी ही ऋण-मुक्त हो जाएगी।
सारे पहलुओं को ध्यान में रखकर हमारी गणना के हिसाब से कंपनी को तीन साल बाद 2017-18 में 1103.91 करोड़ रुपए की बिक्री पर 264.84 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ होगा और उसका प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 20.82 रुपए रहेगा।
कंपनी का एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर शुक्रवार करीब साढे पांच प्रतिशत गिरकर बीएसई में 284.30 रुपए और एनएसई में 284.40 रुपए पर बंद हुआ है। फिर भी यह अभी बहुत महंगा है। बहुत मुमकिन है कि अगले हफ्ते-दस दिन में यह गिरकर 240 के आसपास आ जाए। आप चाहें तो तब जितने कुल शेयर खरीदने हों, उसका एक चौथाई हिस्सा खरीद सकते हैं। लेकिन बाकी हिस्सा तब खरीदें, जब यह गिरकर 190 के आसपास आ जाए।
अभी इसका शेयर दिसंबर 2014 तक बाहर महीनों के ईपीएस 10.30 रुपए से 27.6 गुना या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। तीन साल बाद 25 का पी/ई मानकर हमने इसका भावी भाव 520 (= 20.82 x 25) रुपए निकाला है। इस तरह 240 व 190 के औसत भाव 215 पर खरीद से तीन साल का सीधा रिटर्न 141.86 प्रतिशत बनती है, जबकि रिटर्न की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) 34.23 प्रतिशत निकलती है, जिसे काफी अच्छा माना जाएगा।
सुवेन लाइफ साइंसेज़ [बीएसई – 530239, एनएसई – SUVEN]
शुक्रवार का बंद | एंट्री का भाव | 52 हफ्ते का उच्चतम/न्यूनतम | भावी उम्मीद | तीन साल का अपेक्षित रिटर्न |
284.40 | 240-190 ~ 215 | 322.50/69.75 | 520 रुपए | 141.86% |
(भाव एनएसई के)
यह मिड कैप कंपनी है। उसकी 12.73 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 59.44 प्रतिशत है जो उसके जुड़ाव को दर्शाता है। फिर भी नियमतः आपको इसमें अपने कुल निवेशयोग्य धन या पोर्टफोलियो का 3-4 प्रतिशत से ज्यादा नहीं लगाना चाहिए। यानी, एक लाख रुपए हैं तो अधिकतम 4000 रुपए। दूसरे शब्दों में आप फिलहाल सुवेन लाइफ के 20 शेयर ही खरीद सकते हैं। निवेशयोग्य धन ज्यादा हो तो उसी अनुपात में शेयरों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
कंपनी पिछले पंद्रह सालों से लगातार लाभांश दे रही है। जुलाई 2014 में उसने 1 रुपए के शेयर पर 2.50 रुपए (250 प्रतिशत) का लाभांश दिया है। लेकिन शेयर का भाव ज्यादा होने से उसका मौजूदा लाभांश यील्ड मात्र 0.81 प्रतिशत ही निकलता है।
डिस्क्लेमर: शेयर बाजार के निवेश में सबसे ज्यादा रिस्क है। इसलिए निवेश का फैसला काफी सोच-विचार और रिसर्च के बाद ही करें। आपके निवेश के लिए हम किसी भी रूप में जिम्मेदार नहीं होंगे।